फिटनेस के आधार पर होगा IPS अधिकारियों का प्रमोशन

नई दिल्ली,देश के भारतीय पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों (आईपीएस) के प्रमोशन को लेकर मोदी सरकार अहम फैसला ले सकती है। मोदी सरकार इन अधिकारियों के प्रमोशन को उनके शारीरिक फिटनेस से जोड़ने की योजना बना रही है। यह प्रणाली केंद्रीय पैरा-सैन्य बलों के बीच पहले से ही है। जहां वरिष्ठ अधिकारियों को ‘शेप1’ के रूप में प्रमाणित होते है, जो फिटनेस के सवोच्च स्तर को प्रदर्शित करता है। जैसे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य, सुनना, शारीरिक क्षमता और दृष्टि क्षमता इत्यादि, जिससे ये पता चलता है कि वो प्रमोशन के लिए योग्य है। गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि आईपीएस अधिकारियों के प्रमोशन के लिए फिटनेस अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव पहले से ही कर्मियों और प्रशिक्षण विभाग द्वारा और सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेश को उनके जबाव के लिए दिया गया है। राज्यों को कथित तौर पर 3 जुलाई तक अपने विचारों और सुझावों को वापस करने के लिए कहा गया था, लेकिन अभी तक इसका जवाब नहीं दिया है।
डीओपीटी संचार के अनुसार 21 जून को राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के लिए, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने आईपीएस अधिकारियों की शारीरिक फिटनेस को आईपीएस अधिकारियों के लिए एक अनिवार्य उपाय के रूप में लाने की की सिफारिश की थी। इससे उन्हें आईपीएस में विभिन्न श्रेणियों में प्रमोट करने से पहले समझा जाएगा। आईपीएस अधिकारियों को विभिन्न ग्रेड में पदोन्नति करने के लिए आईपीएस (वेतन) नियमों के नियम 3 में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा गया है। ताकि प्रमोशन समय-समय पर गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए जा सकने वाले निर्देशों के अनुसार शारीरिक फिटनेस के अधीन हो। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, सभी आईपीएस अधिकारियों को वरिष्ठता के अगले स्तर तक प्रमोशन से पहले एक स्वीकृत सरकारी अस्पताल में या एक प्रमाणित मेडिकल बोर्ड से पहले अनिवार्य शारीरिक फिटनेस परीक्षण लेने के लिए कहा जाएगा। आईपीएस अधिकारियों के लिए फिटनेस को प्रमोशन के लिए अनिवार्य बनाने के पीछे कारण यह है कि वे, विशेष रूप से डीआईजी, आईजी, एडीजी और डीजी स्तर पर, आगे बढ़ने की जरूरत है। साथ ही अपने आदेश के तहत उन लोगों के लिए एक उदाहरण निर्धारित करें जो शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीरता से ले। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, आईएएस अधिकारी के विपरीत आईपीएस अधिकारी को अशांति और अन्य कानून एवं व्यवस्था के आपातकाल के समय क्षेत्रीय कार्य को संभालने के लिए शारीरिक रूप से फिट और सक्रिय होना चाहिए।
डीओपीटी द्वारा आईपीएस (वेतन) नियमों द्वारा प्रस्तावित दो अन्य संशोधनों में, सरकार ने आईपीएस अधिकारियों द्वारा दो साल की प्रोबेशन को पूरा करने में देरी को बेदखल करने की मांग की है ताकि प्रोबेशन की समाप्ति की तारीख से दो वर्ष तक ठसीनियर टाइम स्केलठ नियुक्ति के लिए योग्यता की गणना की जा सके। इसके आगे यह प्रस्ताव दिया गया कि एक आईपीएस अधिकारी को डीआईजी, आईजी और एडीजी रैंक के प्रमोशन से पहले, न्यूनतम एक-सप्ताह में तीन डोमेन विशेषज्ञता प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करना होगा।

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