सरकारी अस्पतालों में दूर होगी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी

भोपाल,सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी अब पीएससी से चयनित पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टरों से काफी हद तक पूरी हो सकेगी।पीएससी से मिले 726 डॉक्टरों में से 135 पोस्ट ग्रेजुएट हैं।इन डॉक्टरों की पदस्थापना बतौर पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल ऑफीसर (पीजीएमओ) जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में की जाएगी। इनमें कई एनेस्थीसिया, पीडियाट्रिक्स, गायनी और साइकियाट्री में पीजी हैं। सरकारी अस्पतालों में इन विषयों के डॉक्टरों की सबसे ज्यादा कमी है। पीजीएमओ की पोस्टिंग के लिए डॉक्टरों की सोमवार को संचालनालय में काउंसलिंग की गई।
अभी तक शासन की प्राथमिकता होती थी कि पीएससी से चुने डॉक्टरों को बिना डॉक्टर वाले पीएचसी या सीएचसी में पदस्थ किया जाए।
मालूम हो कि इस साल सरकार ने पदस्थापना का नया फार्मूला बनाया है। चयनित डॉक्टरों की पदस्थापना पहले जिला अस्पताल व सिविल अस्पताल में की जाएगी। जगह नहीं बची तो उन्हें पीएचसी-सीएचसी में पदस्थ किया जाएगा। दरअसल, पीएचसी और सीएचसी में पदस्थापना के बाद डॉक्टरों को आने-जाने और रहने में दिक्कत होती है, इसलिए डॉक्टर नौकरी छोड़कर चले जाते हैं। एक शिकायत यह भी आ रही थी कि पीएचसी में पोस्टिंग के बाद कुछ डॉक्टर सीएमएचओ से तालमेल बनाकर गायब रहते हैं। इस दौरान वे पीजी की तैयारी करते हैं।मालूम हो कि प्रदेश में शिशु व मातृ मृत्य दर काफी ज्यादा है। इसे कम करने के लिए सबसे अहम अस्पतालों में सीजर डिलेवरी की सुविधा होना जरूरी है। इसके लिए जरूरी एनेस्थीसिया, गायनी व शिशु रोग विशेषज्ञ एक तिहाई भी नहीं हैं। तीनों विषयों में 1386 पद स्वीकृत हैं, लेकिन पदस्थ महज 419 ही हैं। सिर्फ एक विषय का डॉक्टर कोई भी सर्जरी नहीं कर सकता। इस कारण अन्य विशेषज्ञ नहीं होने पर मौजूद विशेषज्ञ भी काम नहीं कर पाता।

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