तैयार मकानों के बढ़ेंगे दाम, नए फ्लैट होंगे सस्ते

मुंबई,जीएसटी लागू होने के रेडी टू पजेशन वाले फ्लैट के लिए ग्राहकों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी, क्योंकि जिन कंपनियों के पास पहले से बने मकान हैं, वे बढ़ी हुई लागत का बोझ अपने ग्राहकों पर डालने का प्रयास करेंगे। रियल स्टेट क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि नए फ्लैट की कीमतों में जरूर कुछ गिरावट आ सकती है। इससे उन डेवलपरों को राहत मिलेगी जिनकी नई परियोजनाएं आने वाली हैं या परियोजनाएं शुरूआती चरण में हैं।
जीएसटी लागू हो जाने के बाद नए मकान सस्ते हो जाएंगे। जीएसटी के तहत निर्माणधीन परियोजनाओं पर प्रभावी कर की दर 12 प्रतिशत तक होगी। यह 6.5 प्रतिशत वृद्धि होगी। रियलिटी क्षेत्र पर वास्तविक जीएसटी दर 18 प्रतिशत है, लेकिन डेवलपर द्वारा ली जाने वाली कुल लागत जिस पर कर लगाया जायेगा, जमीन की लागत का एक बड़ा हिस्सा उससे अलग रखा जाएगा। जमीन जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों का कहना है कि जीएसटी में कच्चे माल पर भुगतान किए गए कर का पूरा लाभ (इनपुट टैक्स क्रेडिट) लेने का विकल्प है, लेकिन यह तैयार फ्लैट पर लागू नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप कंपनियों को उच्च कर का बोझ उठाना पड़ेगा या इसका बोझ ग्राहकों पर डालना होगा अथवा नए कर की दर के हिसाब से कीमतें बढ़ानी होंगी।
हाउस ऑफ हीरानंदानी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेन्द्र हीरानंदानी ने कहा डेवलपरों को उन परियाजनाओं के संदर्भ में थोड़ा लाभ हो सकता है, जो शुरुआती चरण में हैं। तैयार मकानों के मामले में उन्हें कर का बोझ उठाना पड़ेगा, क्योंकि उन्हें जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। गेरा डेवलपमेंट्स के प्रबंध निदेशक रोहित गेरा ने कहा कि जीएसटी व्यवस्था में निर्माणधीन परियोजनाओं पर कर की दर 12 प्रतिशत होगी। यह खरीदारों के लिए 6.5 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि कंपनियों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने का विकल्प है लेकिन यह तैयार मकानों पर लागू नहीं होगा। गेरा ने कहा कि इसके कारण डेवलपरों को या तो कर का बोझ उठाना पड़ेगा या फिर उसे ग्राहकों पर टालना पड़ेगा अथवा कर के हिसाब से तैयार मकानों के दाम बढ़ाने पड़ेंगे।
बेंगलुरू स्थित कंपनी साइट्रस वेंचर्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विनोद एस मेनन का कहना है कि हर कोई जीएसटी की सकारात्मक बातें कह रहा है, लेकिन विस्तार में जाने पर लगता है कि इसे लेकर चीजें स्पष्ट नहीं हैं। मेनन ने कहा कि हालांकि, एक तिहाई कटौती के कारण प्रभावी दर 12 प्रतिशत है। मौजूदा प्रभावी वैट तथा सेवा कर के हिसाब से यह 9 प्रतिशत बैठता था। इस हिसाब से अब भी इसमें 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि चूंकि क्रेडिट का पूर्व की तिथि से दावे करने का कोई प्रावधान नहीं है, तो यह ग्राहकों तथा डेवलपर के बीच विवाद का विषय होगा कि इसका भुगतान कौन करेगा।
नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन शिशिर बैजल ने कहा कि नोटबंदी की तरह जीएसटी से कुछ समस्याएं होंगी, लेकिन दीर्घकाल में यह उद्योग के लिये लाभदायक है। उन्होंने कहा, जीएसटी का मकसद पूरी कर प्रणाली में दक्षता लाना है। इसके क्रियान्वयन में कुछ दिक्कतें हैं, लेकिन अंतत: इससे देश में अत्यंत प्रभावी कर प्रणाली का रास्ता साफ होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *