जेपी में एक पैथोलॉजिस्ट के भरोसे 4 सौ मरीज

भोपाल, राजधानी का जिला अस्पताल जेपी हॉस्पिटल में दो पैथोलॉजिस्ट समेत चार स्पेशलिस्ट रिटायर हो रहे हैं। इसके बाद से मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी। यहां एक पैथोलॉजिस्ट के भरोसे करीब 400 मरीजों की जांचें होगीं। सूत्रों ने बताया कि अस्पताल में हर दिन 400 से 500 जांचें होती हैं। 11 बजे तक सैंपल लेने के बाद दो घंटे के भीतर जांच कर रिपोर्ट तैयार करना होता है। इसके लिए कम से कम पांच स्पेशलिस्ट चाहिए। जेपी अस्पताल में पैथोलॉजिस्ट के सिर्फ 3 पद स्वीकृत हैं। माइक्रोबायोलॉजिस्ट एक भी नहीं है। ऐसे में सिर्फ एक पैथोलॉजिस्ट के होने से जांचें प्रभावित हो सकती हैं। दूसरी दिक्कत यह है कि ब्लड बैंक में एक दिन में तीन अलग-अलग शिफ्ट में तीन डॉक्टर होने चाहिए। वजह, ब्लड बैंक आफीसर की दस्तखत के बिना ब्लड इश्यू नहीं हो सकता। उधर आई डिपार्टमेंट में एक भी विशेषज्ञ नहीं है। दो पोस्ट ग्रेज्युएट मेडिकल ऑफीसर (पीजीएमओ) हैं। उन्हें ओपीडी, ओटी व अंधत्व निवारण कार्यक्रम भी देखना होता है। कई बार मरीज दोपहर तक इंतजार करने के बाद बिना इलाज कराए ही लौट जाते हैं।
सभी विभागों में दो-तीन विशेषज्ञ ही बचे हैं। ऐसे में छुट्टी पर जाने, वीआईपी डयूटी या फिर ट्रेनिंग के चलते कई बार एक विशेषज्ञ की बचता है, जिससे मरीजों की लंबी कतार लग जाती है। गुरुवार को नाक-कान-गला विभाग में सिर्फ एक विशेषज्ञ डॉ. एके चतुर्वेदी, मेडिसीन में सिर्फ दो स्पेशलिस्ट थे। दोनो जगह मरीजों की लंबी कतार थी। अस्पताल में फार्मासिस्टों के 12 पद खाली हैं। मुख्य दवा वितरण कक्ष में संविदा कर्मचारियों के अलावा कई बार नर्सेस की डयूटी लगा दी जाती है, जबकि फार्मेसी एक्ट के तहत नर्स दवा नहीं बांट सकती। फार्मासिस्ट कम होने के चलते ज्यादा भीड़ होने पर भी दवा बांटने के लिए अतिरिक्त काउंटर नहीं खोले जा रहे हैं। ईएनटी विभाग में विशेषज्ञ का 1 पद खाली है, वहीं पैथोलॉजी विभाग में 2 पद खाली है। इसी तरह नेत्र विभाग में 3 पद खाली है और एनेस्थीसिया में 2 पद एवं मेडिकल ऑफीसर के 8 पद रिक्त हैं

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