सीमा पर तनाव, सेना प्रमुख सिक्किम के लिए रवाना

नई दिल्ली,सीमा पर सड़क बनाने का प्रयास के बाद भारत और चीन के संबंधों में एक बार फिर तल्खी पैदा हो गई है। चीन ने दावा किया है कि वह अपने आधिपत्य वाले इलाके में सड़क बना रहा है। इस लिए इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। इस बीच गुरूवार को भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत सिक्किम के दो दिवसीय दौरे के लिए रवाना हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि सामरिक नजरिए से बेहद अहम चुंबी घाटी में चीन जब सड़क बनाने का प्रयास किया तो भारतीय सेना ने इसे रोक दिया। यह क्षेत्र भारत, भूटान और चीन से लगा हुआ है, चीन इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक ब़ढ़त हासिल करने के लिए सड़क बनाने का प्रयास कर रहा है। भारत ने उसकी यह कोशिश रोक दी है, जिसकी वजह से भड़की चीनी सेना ने उस इलाके में भारतीय बंकरों को तोड़ डाला और नाथू ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जा रहे भारतीय तीर्थयात्रियों को रोक दिया। चीन में भारतीय राजनयिक रहे अशोक कंठ ने कहा कि सिक्किम सेक्टर में दोनों पक्षों में भारत, चीन और भूटान से सटे इस इलाके को लेकर विवाद है। यही नहीं, इस क्षेत्र में जल विभाजन की सीमा को लेकर भी दोनों देशों के बीच मदभेद हैं। उन्होंने कहा कि चिंता की बात यह है कि 2013 में डेपसंग और 2014 में डेमचोक इलाके में हालात बिगड़ने के बावजूद चीन कोई बीच का रास्ता निकालने की बजाए मानसरोवर यात्रा रोककर विवाद को और बढ़ा रहा है।
उन्हेंने कहा भूटान द्वारा प्रतिरोध नहीं किए जाने का फायदा उठाते हुए चीन ने चुंबी घाटी में अपनी गतिविधियां बढ़ा ली हैं। यह चीन की यह बढ़त भारत के लिए चिंताजनक है। भूटान अपनी सुरक्षा के लिए भारत पर निर्भर है। भारत को चुंबी घाटी में रणनीतिक बढ़त हासिल है। लेकिन चीन इस स्थिति में बदलाव के लिए लगातार सक्रिय है। इस लिए चीनी सेना इस इलाके में भारत को लगातार पीछे ढकेलने की कोशिश में लगी रहती है। हालांकि, ऐसा पहली बार हुआ है, जब सीमा पर सेनाओं के बीच हुए टकराव के बाद चीन की सरकार ने मानसरोवर यात्रा रोकने जैसा कूटनीतिक जवाबी कदम उठाया है।
चुंबी घाटी में चीनी सड़कों का निर्माण सामरिक दृष्टि से भारत के लिए खतरनाक है। यह चीनी विस्तारवाद का एक हिस्सा है, जिसे भारत और भूटान दोनों की ही सुरक्षा को खतरा है। उल्लेखनीय है कि चीन काफी दिनों से भूटान से इस इलाके को छोड़ने के लिए कह रहा है, लेकिन भूटान के सम्राट चीन के आगे नहीं झुके। भारत और भूटान दोनों जानते हैं कि इस इलाके में चीन की सड़कें बनना उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कैंग ने कहा है कि भारत ने इस क्षेत्र को मुद्दा बना लिया है। जबकि सच यह है कि यह हिस्सा न भूटान का है और न भारत का। यह हिस्सा चीन का है, इसके हमारे पास ऐतिहासिक साक्ष्य भी हैं। चीन इस क्षेत्र में सड़क निर्माण करके कोई गलत काम नहीं कर रहा है। इस मामले में किसी दूसरे देश को दखल देने का अधिकार नहीं है।

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