नई दिल्ली, कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए गए तीर्थयात्रियों को चीन की मनमानी के कारण बिना दर्शन किए ही वापस लौटना पड़ा। तीर्थयात्रियों के इंतजार के बाद भी चीन ने दरवाजे नहीं खोले, जिसके बाद करीब 100 यात्री वापस दिल्ली लौट आए हैं। इस मामले पर अभी भारतीय गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया है। एक वेबसाइट के मुताबिक गृह मंत्रालय ने कहा कि चीन ने वीजा तो दिया लेकिन तीर्थयात्रियों को नाथूला दर्रा से अपनी सीमा में दाखिला होने से रोक दिया। सरकार बातचीत के माध्यम से मामले का हल निकालने की कोशिश कर रही है। केंद्र सरकार के पास सिक्किम सरकार से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक 50-50 यात्रियों के दो जत्थे वापस भेज दिया गया है। वापस भेजे गए जत्थों में से पहला नाथूला में 20 से 23 जून तक रहा, जबकि दूसरा गंगटोक में रुका रहा. इसके अलावा अन्य जो लोग नाथूला से जाने वाले थे उन्हें चीन ने वीजा ही नहीं दिया। इस साल कुल 350 तीर्थयात्रियों ने नाथूला मार्ग के जरिए यात्रा के लिए पंजीकरण कराया था और उन्हें सात जत्थों में यात्रा करनी थी।
इससे पहले चीन ने सिक्किम क्षेत्र में भारतीय जवानों पर सीमा पार करने का आरोप लगाकर उनसे तुरंत वापस लौटने की मांग की। चीन ने भारतीय जवानों के सिक्किम क्षेत्र में चीनी क्षेत्र में घुसने का आरोप लगाते हुए नयी दिल्ली और बीजिंग दोनों जगह भारत के समक्ष कूटनीतिक विरोध भी दर्ज कराया है। चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा था कि हमने अपने महत्वपूर्ण रुख के बारे में बताने के लिए बीजिंग और नई दिल्ली में गंभीर विरोध दर्ज कराया है। अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता को बुलंद रखने का हमारा रूख दृढ़ है। भारत अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाए जो आगे चले गए हैं। नाथूला दर्रा समुद्रतल से 4,545 मीटर की उंचाई पर है और यह तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, शिगात्से विभाग में यादोंग काउंटी और सिक्किम के बीच स्थित है। इस पूरे मामले के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहिर ने कहा कि मुझे उम्मीद है दोनों देश बातचीत से मामले को सुलझा लेंगे।