ग्वालियर, जयारोग्य चिकित्सालय में विगत दिवस मृतका रक्षा कटारे की आंख चूहे द्वारा कुतरने के मामले में फॉरेनसिंक विभागध्यक्ष पर हुई निष्कासन की कार्रवाई को लेकर अब मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन सामने आ गया है और इसको लेकर एमटीए ने बुधवार को एक बैठक भी बुलाई। जिसमें डॉ. जुगरान के निष्कासन का चिकित्सकों ने विरोध तो किया है, साथ ही चिकित्सकों के बीच ही हाथापाई तक पहुंच गई। बैठक में सबसे पहले डॉ. सार्थक जुगरान ने कहा कि शवगृह कि चाबी शाम ४ बजे तक उनके पास रहती है, उसके बाद चाबी अधीक्षक कार्यालय में जमा हो जाती है। जस पर डॉ. के.एस. मंगल ने कहा कि महाविद्यालय अधिष्ठाता व अधीक्षक को डॉ. जुगरान पर हुई कार्रवाई का विरोध करना चाहिए था, उन्होंने डॉ. जुगरान का पक्ष क्यों नहीं लिया, इस मामले में तो भोपाल जैसी ही कार्रवाई होनी चाहिए। जिस पर स्पाल अधीक्षक डॉ. जे.एस. सिकरवार ने कहा कि डॉ. जुगरान पर हुई कार्रवाई पर मैं दुखी हूं, आप सभी जो कुछ कहेंगे मैं तो वह करने को तैयार हूं। इस पर डॉ. मंगल ने कहा कि दुखी होने से क्या होगा आपको सख्त निर्णय लेना चाहिए था। सम्भाग आयुक्त द्वारा कि गई कार्रवाई बहुत गलत है, सभी विभागध्यक्ष को सम्भाग आयुक्त को घेरना चाहिए। इसी बीच अस्पताल के सहायक अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र नरवरिया ने कहा कि डॉ. मंगल को ही सम्भाग आयुक्त से एमटीए की बात रखनी चाहिए, वह ही अच्छा बोलते है, जिसका अन्य एमटीए के चिकित्सकों ने भी समर्थन किया। लेकिन इस बात पर डॉ. मंगल भड़क गए। बैठक में अन्य चिकित्सकों ने भी डॉ. जुगरान पर हुई कार्रवाई का विरोध किया। डॉ. नरवरिया द्वारा दिए गए जबाव से खफा बैठे डॉ. मंगल बैठक समाप्त होने का इंतजार कर रहे थे, बैठक खत्म होते ही डॉ. मंगल और डॉ. नरवरिया के बीच बहस शुरू हो गई। डॉ. नरवरिया का कहना था कि इस मामले में अधिष्ठाता कि कोई भूमिका नहीं है, फिर आप क्यों उन्हें बीच में घसीट रहे है। जिस पर पहले से खफा बैठे डॉ. मंगल और भड़क गए और कहने लगे कि तुम कौन हो मुझे समझाने वाले, मैं किसी को नहीं घसीट रहा हूं। इस बात को लेकर दोनों के बीच बहस इतनी बढ़ गई कि हाथा पाई तक कि नोबत आ गई और डॉ. मंगल ने कहा कि मैं तुम्हारा गुरू हूं मैं तुम्हे यहीं थप्पड़ भी मार सकता हूं।
एमटीए में नहीं दिखी एकता
डॉ. जुगरान के निष्कासन के विरोध में हुई एमटीए कि बैठक में चिकित्सकों के बीच एकता नहीं दिखी। बैठक में डॉ. जुगलान पर हुई कार्रवाई को लेकर कुछ
चिकित्सक एक दूसरे को ही जिम्मेदार ठहराते रहे। जिससे साफ दिख रहा था कि एमटीए में ही एकता नही है।