पसन्द का भोजन अधिकार, मांसाहार खाने से नहीं रोक जा सकता-हाईकोर्ट

लखनऊ, सूबे में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद बंद किए गए बूचड़खानों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि आप (सरकार) लोगों की खाने की आदत पर रोक नहीं लगा सकते हैं। पसंद का भोजन सबका अधिकार है फिर चाहे वह मांसाहार या फिर शाकाहार। कोर्ट ने कहा कि ऐसे बूचड़खाने जिनके लाइसेंस की अवधि समाप्त हो गयी है उनका जल्द नवीनीकरण किया जाये।
बूचड़खानों के बंद होने के बाद इस मामले में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उनके लाइसेंस का समय गत 31 मार्च को पूरा हो गया था और उन्होंने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन कर रखा है, लेकिन सरकार आवेदन पर नवीनीकरण नहीं कर रही है। ऐसे में मांग की गई कि सरकार लाइसेंसों के नवीनीकरण करे। वहीं, यह भी कहा गया है कि सरकार परोक्ष रूप से बूचड़खानों को बंद कराना चाह रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील बीके सिंह ने बहस की। सुनवाई के बाद न्यायालय ने पुराने लाइसेंस का नवीनीकरण किए जाने के निर्देष के अलावा यह भी कहा कि जो नए लाइसेंस के आवेदन आ रहे हैं, अगर वह नियमों को पूरा कर रहे हैं तो उन्हें भी लाइसेंस जारी किए जाए। अब इस मामले में अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
विदित हो कि योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही यूपी के अवैध बूचड़खानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का दौर शुरू हुआ था। इसके बाद प्रदेशभर के मीट कारोबारियों ने हड़ताल की घोषणा कर दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन मीट कारोबारियों से मुलाकात कर उनकी समस्या को सुना। फिर अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि सिर्फ अवैध बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई को सुनिश्चित किया जाए।

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