भोपाल, भारत की राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के निपटारे में अपनी जान पर खेलकर उल्लेखनीय योगदान देने वाले सैन्य अधिकारियों, कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने के फैसले के दुरुपयोग के बाद गृह मंत्रालय ने तो अधिसूचना जारी कर इस पर रोक लगा दी है लेकिन वन विभाग गृह विभाग के पत्र के आधार पर ही अपने कर्मचारियों को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देना जारी रखे हुए है।
मध्यप्रदेश में गृह विभाग ने 10 जून 1985 को एक आदेश जारी कर पुलिस रेग्युलेशन में संशोधन किया था। इस आदेश के तहत डकैती विरोधी अभियान, कानून व्यवस्था, निशानेबाजी प्रतियोगिता में सराहनीय काम करने या विशिष्ट स्थान हासिल करने वाले आरक्षक मुख्य आरक्षक उप निरीक्षक को आउट ऑफ टर्न पदोन्नति देने का निर्णय लिया था। लेकिन इस आदेश का दुरुपयोग होने लगा। शिकायतें आने के बाद गृह विभाग ने 11 सितंबर 2012 को अधिसूचना जारी कर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिए जाने के प्रावधान पर रोक लगा दी थी।
वन विभाग ने भी 15 अक्टूबर 2003 को एक आदेश जारी कर वन रक्षक से वन पाल के पद पर बारह वर्षों से अधिक सेवा कर चुके अधिकारियों पारी बाहर पदोन्नति देने के आदेश जारी किए थे। वन विभाग ने इस नियम के तहत वर्ष 2003 में ही 55 वन रक्षकों को वनपाल और 28 वनपालों को उप वन क्षेत्रपाल के पद पर पारी बाहर पदोन्नति दे दी। वर्ष 2009 में वन विभाग ने पारी बाहर पदोन्नति देने के लिए तीन सदस्यीय समिति भी बनाई थी। इसमें साहसी कार्यों, खेलों में स्वर्ण पदक विजेताओं को पारी बाहर पदोन्नति देने का प्रावधान किया गया। पिछले साल 27 मई 16 को भी वन विभाग ने विभागीय स्तर पर पारी बाहर पदोन्नति देने के लिए सभी मुख्य वन संरक्षक और सभी वन मंडलाधिकारियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।
गडबड़ियों को लेकर पीएम से शिकायत
बालाघाट के पूर्व बसपा विधायक किशोर समरीते ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन के नाम पर जमकर अनियमितताएं किए जाने और इस पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिकायत की है। उन्होंने अब तक की गई सभी पदोन्नतियों की सीबीआई से जांच कराने की मांग भी की है।