जी का जंजाल बना GIS सॉफ्टवेयर

भोपाल,सरकार द्वारा जीआईएस सॉफ्टवेयर में प्रदेश की जमीनों का लेखा जोखा रखने और तैयार करने का काम पिछले एक दशक से किया जा रहा है। रजिस्ट्री से लेकर लोन और अन्य कामों के लिए किसानों और जमीन मालिकों को खसरा पंचचाला की नकल अथवा रिकॉर्ड की जरूरत होती है। उन्हें लगातार चक्कर काटने के बाद भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं जो उपलब्ध होते हैं उसमें पटवारी रिकॉर्ड कुछ और कह रहा होता है और कंप्यूटर का रिकॉर्ड कुछ और कहता है इससे प्रदेश भर के किसान और जमीन मालिक पिछले कई माह से परेशान होकर यहां से वहां भटक रहे हैं किंतु उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है उल्टे उन्हें रजिस्ट्री और लोन इत्यादि लेने में भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ।
डाटा ही गायब हो रहा
एनआईसी सॉफ्टवेयर से वेव जीआईएस सॉफ्टवेयर पर डाटा ट्रांसफर करने से पिछले 1 साल का डाटा गायब हो गया। 2015-16 का डाटा अब सर्वर पर उपलब्ध नहीं है। पूरे साल पटवारी राजस्व निरीक्षक और तहसीलदारों ने नामांतरण, बंटवारा संशोधन जो किए थे वह अब सर्वर पर उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण किसान और आम आदमी परेशान हैं। सॉफ्टवेयर में कहीं पुराने व्यक्ति का नाम दिख रहा है और जो भी प्रविष्टियां हुई है उसमें एक शब्द भी गलत हो जाने से मालिक का नाम और जमीन का ब्यौरा ही बदल जाता है जिसके कारण किसानों और जमीन मालिकों को बार-बार पटवारी और तहसीलदार के चक्कर काटने पड़ रहे है।
राजस्व निरीक्षक और पटवारी हड़ताल खत्म करके काम पर लौट आए हैं। कंप्यूटर के डेटा प्रविष्टि में जो गड़बड़ी हो रही है। उससे जमीनों की रिकॉर्ड में भारी गड़बड़ियां देखने को मिल रही है ।एक शब्द भी गलत हो जाने से सरकारी जमीन निजी जमीन में और निजी जमीन सरकारी जमीन के रूप में रिकॉर्ड में दर्ज हो जाती है सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने और प्रविष्टि करने के अधिकार राजस्व निरीक्षक तहसीलदार और पटवारी को अलग अलग होने से रोजाना इस तरह की गड़बड़ियां होना आम बात हो गई है। सरकारी कर्मचारियों को इन गड़बड़ियों से भारी कमाई हो रही है वहीं किसान और जमीन मालिक परेशान होकर अधिकारियों को पैसा देकर अपना काम कराने को मजबूर हो रहे हैं इस स्थिति में किसानों का कहना है इस सॉफ्टवेयर के नाम पर जो कवायद पिछले सालों से कंप्यूटर के नाम पर चल रही है।

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