MP में घोड़ों को जान का खतरा

भोपाल,मध्य प्रदेश के घोड़ों की जान पर बन आई है। एक अजीब बीमारी ने घोड़ों की जान लेनी शुरू कर दी है। इस भयानक बीमारी का नाम ग्लैंडर्स है। इसके चलते प्रदेश में दर्जनभर घोड़ों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही इस बीमारी के संक्रमण को लेकर प्रदेश भर में हड़कंप मच गया है। ग्लैंडर्स की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने प्रदेश के सभी अधिकारियों को अपने-अपने कार्यक्षेत्र में घोड़ों की सेहत पर नजर रखने के निर्देश दे दिए हैं। सबसे खतरनाक तथ्य यह है कि जो घोड़े इस बीमारी से संक्रमित होते हैं उनका कोई इलाज नहीं है और यह बीमारी अन्य घोड़ों में तेजी से फैलती है। इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित घोड़ों को मारना ही एकमात्र उपाय है। ग्वालियर में पीड़ित सभी घोड़ों की मौत के बाद रासायनिक व वैज्ञानिक प्रक्रिया के शवों को दफनाया गया था।
क्या है ग्लैंडर्स
पशु पालन विभाग के अनुसार देश में 1899 में ग्लैंडर्स ने दस्तक दी थी। इसका प्रकोप गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश आदि में देखा गया, जहां सैकड़ों घोड़े इसका शिकार बने। घोड़ों के कारण गधे, खच्चर, बकरी, भेड़ आदि जानवरों के साथ संपर्क में रहने वाले मनुष्यों की जान पर खतरा मंडराता रहता है। पशु पालन विभाग के मुताबिक गत माह हरियाणा, हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र में ग्वालियर के बीमार घोड़ों के सीरम सैम्पल जांच के लिए भेजे थे। जिसमें हनुमान चौराहा ग्वालियर उमेश शर्मा के पांच घोड़ों में ग्लैंडर्स पॉजिटिव पाया गया।
उत्तर प्रदेश से आई बीमारी
पशुपालन एवं डेयरी फार्मिंग विभाग के डायरेक्टर डॉ. आरके रोकड़े का कहना है कि ग्वालियर में ग्लैंडर्स का बैक्टीरिया उत्तर प्रदेश से आने की आशंका है। एहतियातन ग्वालियर के जिस इलाके में ग्लैंडर्स का बैक्टीरिया पाया गया उसके 2 से 5 किलोमीटर के दायरे में सर्वे कर अन्य अश्वों की सेहत की जांच कराई जा चुकी है। ग्वालियर में इसकी चपेट में आए अश्व बीमारी से ही मर गए, जिन्हें वैज्ञानिक तरीके से दफन कर किया जा चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *