भोपाल,प्रदेश के अनियंत्रित हुए प्रोफेसर, लेख्रर, प्राचार्य अब शासन के काबू में आ जाएंगे। इससे ड्राइंग कैडर में तब्दील हुए विभाग को संजीवनी मिलेगी। दरअसल प्रदेश के इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों की सोसायटी खत्म होंगी। यह प्रस्ताव तकनीकी शिक्षामंत्री दीपक जोशी ने तैयार कराया।
सूत्रों की माने तो प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर और लेख्रर के पदों को सोसायटी में बदलने के बाद विभाग पर उनका कोई नियंत्रण नहीं बचा था। प्रोफेसरों को कोई गलती करने पर शासन उन्हें दंडित करने स्थानांतरण करता तो प्रोफेसर फटाफट कोर्ट से स्थानांतरण के विरुद्ध स्थगन आदेश ले आते थे। नियमानुसार सोसायटी में प्रोफेसरों को स्थानांतरण नहीं हो सकता। शासन उन्हें दंडित नहीं कर सकता, जिसके कारण वे मनमर्जी पर आमदा हो चुके हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें शासन को कोर्ट की एवज में प्रोफेसरों के सामने झुकना पड़ा है। स्वीकृति के बाद प्रोफेसरों को सोसायटी में भेज दिया गया, जिन्होंने इंकार किया था उनके सेवानिवृत्त होने के बाद पदों को सोसायटी में मर्ज किया जा सका।
शासन में बचे प्रोफेसरों के कैडर को ड्राइंग कैडर कहते हैं। पद रिक्त होने पर सोसायटी के नियमों से भर्ती होती थी। अब कैबिनेट बदलने से प्रोफेसरों से शासन में शामिल होने की स्वेच्छा पूछी जाएगी। अब सोसायटी के पद ड्राइंग कैडर में चले जाएंगे। गौरतलब है कि 63 पॉलीटेक्निक और 5 कॉलेजों में करीब 2250 प्रोफेसर-लेख्रर के पद हैं। जिसमें 1900 पद सोसायटी में पहुंच गए। 300 प्रोफेसर और लेख्रर डार्इंग कैडर में कार्यरत हैं। सोसायटी में मर्ज होकर 600 प्रोफेसर सेवाएं दे रहे हैं। 1900 रिक्त पदों पर शासन के नियमों के तहत एमपीपीएससी भर्ती कराएगा।