देश में फल-सब्जी की क्रांति लाओ : परोदा

मंदसौर, पद्मभूषण पा चुके कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर.एस. परोदा ने आज कहा कि देश में हरित क्रांति के बाद अब फल सब्जी के क्षेत्र में क्रांति की आवश्यकता है। उनका कहना है कि कृषि अनुसंधान और संवर्धन के क्षेत्र में निजी एवं सरकारी उपक्रमों को मिल कर काम करना होगा । मन्दसौर स्थित सिपानी कृषि अनुसंधान केन्द्र द्वारा गेहूं अनुसंधान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया गया है ।
वह मंगलवार को चांगली स्थित सिपानी अनुसंधान केन्द्र पर आयोजित सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होने कहा कि इस केन्द्र पर अरहर के क्षेत्र में फसल पकने कि अवधी कम की गई है बावजूद इसके 120 दिनों कि अपेक्षा इसे 110 दिन करने कि जरूरत है । मध्यप्रदेश में किसान सोयाबीन कि फसल को बदल बदल कर बोयेगें तो उसका उत्पादन बढेगा , जमीन कि उर्वरकता बनी रहेगी । डॉ. परोदा ने कहा कि हमारे देश में सोयाबीन का उपयोग केवल तेल के लिये होता है जबकि सर्वाधिक प्रोटीन होने के कारण सोयाबीन को खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग पर ध्यान दिया जाना चाहिये । सोयाबीन में गेहूं और अन्य दालों के मुकाबले में अधिक प्रोटीन होता है जिससे देश में व्याप्त कुपोषण को दूर किया जा सकता है । वर्तमान में स्वास्थ्य के क्षेत्र में 111 देशो में भारत का स्थान 76वा है । हर 5 पैदा होने वाले बच्चेां में एक बच्चा कुपोषण का शिकार होता है । एशिया के के कई देशो में सोयाबीन का उपयोग खाद्य पदार्थ के रूप में किया जा रहा है । कृषि वैज्ञानिकों कि नितीयों के कारण बंगाल के अकाल कि विभिषिका तथा पीएल 480 के तहत अमरीका से आयातित गेहंू कि त्रासदी से देष मुक्त होकर आत्म निर्भर बना है । मक्का अनुसंधान परियोजना के निदेशक डॉ. एन.एन. सिंह ने बताया कि उन्होने आदिवासी क्षेत्रो में मक्का के उपयोग एवं उत्पादन में वृद्वि के लिये कार्य किया है । किसी समय मक्का गरीबों का भोजन माना जाता था । वर्तमान में नये अनुसंधानों ने मक्का को पोषण का बढा साधन बना दिया है । सिपानी कृषि अनुसंधान केन्द्र में इस ओर किये जा रहे कार्य बेहद महत्वपूर्ण है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *