भोपाल, प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने व्यापमं महाघोटाले में भ्रष्टाचार व अनैतिक तरीकों से चयनित एमबीबीएस में प्रवेश पा चुके 634 छात्रों के दाखिले देश की शीर्ष अदालत द्वारा रद्द किये जाने के ऐतिहासिक फैसले के बाद तत्कालीन जांच एजेंसी एसटीएफ को एक बार फिर घेरते हुए कहा है कि आखिरकार इन छात्रों के अलावा निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के संचालकों द्वारा 721 छात्रों को नियम विरूद्व दिये गये दाखिल को लेकर उसने किसके दबाव में एफआईआर दर्ज नहीं की थी?
आज बयान में मिश्रा ने कहा कि यही नहीं पीएमटी घोटाले से संबद्ध प्रदेश के 6 निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा सरकारी कोटे की सीटें मेनेजमेंट कोटे से भर दिये जाने के खुलासे, के बाद भी एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की गई उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी अनियमितता और भ्रष्टाचार को लेकर चिकित्सा-शिक्षा विभाग के डीएमई की भूमिकाओं को लेकर भी बार-बार सवाल उठे, किन्तु राजनैतिक रसूखों की वजह से वे आज तक क्यों, किसके दबाव में और किसलिए बचे हुए हैं?