सांची,सांची विवि में विभिन्न ध्यान पद्धतियों की विवेचना और अभ्यास, प्राकृतिक रुप से कैसे घटता है ध्यान
ध्यान चेतना के संवर्धन का ऐसा अनूठा प्रयोग है जो पूरी दुनिया में आकर्षण का विषय बना हुआ है. सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में जारी ध्यान सप्ताह में ध्यान के समस्त आयामों पर देश के उत्कृष्ट विद्वानों द्वारा उद्बोधन एवं प्रायोगिक परीक्षण किया जा रहा है. ध्यान सप्ताह के दूसरे दिन ध्यान क्या है? उसके दर्शन, ध्यान का नैसर्गिक स्वरूप और विभिन्न मार्गों एवं अनुभवों पर चर्चा हुई.
दूसरे दिन का मुख्य विषय ‘‘प्राकृतिक रूप से ध्यान का प्रादुर्भाव‘‘ रहा.
प्रातकालीन ध्यान साधना के उपरांत प्रथम सत्र में पंचकोशी साधना के विद्वान लाल बिहारी सिंह ने कहा कि ध्यान की अपनी विचार प्रणाली और विज्ञान है. उनके मुताबिक इस विज्ञान को जान लेने से प्रकृति से एकाकार विकसित होता है और कर्म बंधन टूटने लगता है. राम कृष्ण मठ के सन्यासी स्वामी सत्यमयानंद ने बताया कि ध्यान से उत्पन्न उर्जा ओज के साथ मिलकर मस्तिष्क को शीतल और जीवन को आनन्दमय बनाती है.
ध्यान सप्ताह के बाकी बचे 5 दिनों में रोज़ाना एक ध्यान विधि यथा ट्रांसेंडैंटल योग, विपश्यना, प्रेक्षा ध्यान, क्रिया योग और ब्रह्मकुमारी राजयोग पद्धतियों की बारिकियां और इनका अभ्यास किया जाएगा.