भारतीयता के प्रतीक बन गए थे माखनलाल

भोपाल, ऐसा माना जाता है कि आत्मा की कोई जाति नहीं होती, संप्रदाय नहीं होता और न ही उसकी कोई राष्ट्रीयता होती है. परंतु, पंडित माखनलाल चतुर्वेदी को एक भारतीय आत्मा कहा गया. आखिर उन्हें भारतीय आत्मा क्यों कहा गया? इसके लिए यह जानना जरूरी है कि भारतीयता क्या होती है? यदि भारत की अवधारणा को समझ लिया जाए, तब भारतीयता भी स्पष्ट हो जाएगी.
यह विचार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने व्यक्त किए. विश्वविद्यालय की ओर से 30 जनवरी को पंडित माखनलाल चतुर्वेदी एवं महात्मा गांधी के पुण्य स्मरण में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने भी पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और उनकी पत्रकारिता के संबंध में भाषण प्रतियोगिता में अपने विचार व्यक्त किए.
कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि भारतीय होने के लिए भारत में जन्म लेना जरूरी नहीं है. अनेक बाहरी व्यक्ति ऐसे हुए हैं, जो भारत में आकर भारतीय हो गए। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद माखनलाल चतुर्वेदी ने अपनी लेखनी से क्या लिखा, इस संबंध में शोध करने की आवश्यकता है। इस दौर में यह भी आवश्यक है कि हम दुनिया के सामने माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता के सिद्धाँतों को प्रस्तुत करें, ताकि आज की पत्रकारिता उन सिद्धाँतों से प्रेरित हो सके. इससे पूर्व विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और उनकी पत्रकारिता के संबंध में भाषण दिए.

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