जन-भागीदारी से ही सुशासन

मुंबई,,मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सुशासन की स्थापना जन-भागीदारी के बगैर सफल नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि ग्राम सभाएँ और पंचायतें सुशासन की सर्वश्रेष्ठ इकाइयाँ बनें और अपनी सरकार का दर्जा व्यवहार में लागू हो. वह मुम्बई में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधनी कार्यक्रम में सुशासन में जन-भागीदारी राष्ट्रीय परिषद-2017 को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस भी उपस्थित थे.
उन्होंने कहा कि सुशासन में जनता का सहयोग जरूरी है. उन्होंने कहा कि पंचायत राज प्रणाली का संस्थागत और समग्र विकास किया जाना चाहिये. उन्हें कानूनी और न्यायिक अधिकार मिलें, ताकि थानों और कचहरियों का बोझ घटे। उन्होंने कहा कि पंचायतों के सशक्त होने और संवैधानिक भूमिका निभाने से शासन और प्रशासन पर दबाव कम होगा और ग्रामीण क्षेत्र प्रशासनिक जटिलता की प्रक्रिया से मुक्त होंगे.
चौहान ने कहाकि ग्राम सभा विधायिका का दायित्व निभाने लगे, तो स्थानीय विविधता और अस्मिता की रक्षा होगी. गाँव स्वावलंबी बनेंगे. उन्होंने कहा कि इससे लोगों में दायित्व का बोध होगा और उनके बीच व्याप्त उदासीनता समाप्त होगी. चौहान ने कहा कि कृषि विकास की योजनाओं में भी किसानों की भागीदारी होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जो परम्पराएँ चली आ रही हैं, उसमें योजनाएँ ऐसे लोग बनाते हैं, जो कभी न गाँव गये और न किसानों से मिले, उन्हें खेती-किसानी की भी कोई जानकारी नहीं है.

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