नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के खिलाफ जांच और उसकी रिपोर्ट हर हाल में 6 माह में देने का नियम बनाया है. इसके लिए एआईएस (डी तथा ए) नियम 1969 में संशोधन किया गया है, जिससे जांच निश्चित समय सीमा और समयबद्ध तरीके से करना संभव हो सकेगा.
यदि किसी मामले में छह महीने के अंदर जांच संभव नहीं होती, तो उसके उचित कारणों को लिखित रूप से रिकॉर्ड कराना, अनुशासन अधिकारी द्वारा एक समय में छह महीने से अधिक की अतिरिक्त समय सीमा नहीं दी जा सकती और इस तरह जांच पूरी करने में दायित्व सुनिश्चित होगा. दोषी अधिकारी को आरोपों पर अपनी बात कहने के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की गई है और अनुशासन अधिकारी द्वारा और 30 दिन से अधिक इसे नहीं बढ़ाया जा सकता.
संशोधित नियमों के अनुसार विभागीय जांच और रिपोर्ट प्रस्तुति के लिए छह महीने की समय सीमा तय की गई है. किसी भी सूरत में 90 दिनों से अधिक का विस्तार नहीं दिया जा सकता इसी तरह दोषी अधिकारी पर दंड लगाने के संबंध में यूपीएससी की सलाह पर राय जाहिर करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है और ऐसे प्रतिनिधित्व की समय सीमा का विस्तार 45 दिनों से अधिक नहीं किया जा सकता.
इस बारे में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इससे जांच के विभिन्न चरणों की समय सीमा तय हो सकेगी. इसका उद्देश्य अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों के विरूद्ध अनुशासन की कार्रवाई समयबद्ध तरीके से पूरी करना है.
अखिल भारतीय सेवा अफसरों की जांच 6 माह में पूरी होगी
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