लखनऊ,समाजवादी पार्टी में शुरु हुआ शह और मात का खेल अभी खत्म नहीं हुआ है. रविवार हुए सपा अधिवेशन को पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने असंवैधानिक करार देते हुए प्रोफेसर रामगोपाल यादव को एक बार फिर से पार्टी से 6 साल के लिए बाहर निकालने का फरमान सुनाया है. उन्होंने 5 जनवरी को पार्टी का अधिवेशन बुलाने का भी आदेश दिया है.
हालांकि रविवार सबेरे मुलायम का खत सामने आया जिसमें रामगोपाल द्वारा बुलाए अधिवेशन को असंवैधानिक कहा गया था पर फिर भी जनेश्वर मिश्र पार्क में ये अधिवेशन हुआ और बड़ी तादाद में पार्टीजनों ने इसमें हिस्सा लिया. इसे सबेरे अखिलेश का मास्टर स्टेक कहा जा रहा था. जिससे शिवपाल और अमर सिंह को बोल्ड मान लिया गया था. रविवार के आपात अधिवेशन में शिवपाल यादव और अमर सिंह पर जमकर निशाना साधा गया. रामगोपाल यादव ने भाषण में दो लोगों पर साजिश रचने का आरोप लगाया और कहा कि अखिलेश को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाया गया.
इस अधिवेशन में रामगोपाल यादव ने चार प्रस्ताव भी पेश किए जो सभी सर्वसम्मति से पास भी कर दिए गए. इसमें अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया.
ये थे अन्य प्रस्ताव
1 रामगोपाल की मांग पर मुलायम सिंह को पार्टी के शीर्ष नेता के तौर पर संरक्षक बनाया गया.
2 सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को पद से हटाया गया.
3 बहुचर्चित और सैफेई कुनबे में कलह की वजह माने जा रहे अमर सिंह को पार्टी से बाहर किया गया.
4 अखिलेश को संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पेश हुआ जिसकी सूचना निर्वाचन आयोग को दी जाएगी.
ये बोले अखिलेश
अखिलेश ने कहा वह पिता मुलायम का जितना सम्मान पहले करते थे, उससे कई गुना ज्यादा सम्मान अब से आगे करेंगे. अगर नेताजी के खिलाफ और पार्टी के खिलाफ साजिश हो तो नेताजी का बेटा होने की वजह से मेरी जिम्मेदारी है कि उन लोगों के खिलाफे खड़े हों. उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें ऐसी हैं जो चाहती हैं सपा की सरकार ना बनने पाए. सरकार जब बनेगी और बहुमत आएगा तो सबसे ज्यादा खुशी नेताजी को होगी.