अशोकनगर,जिला अस्पताल हमेशा से ही अव्यवस्थाओं के लिए जाना जाता है। यहां आने वाले मरीजों का भगवान ही मालिक होता है। अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता के कारण यहां पदस्थ डॉक्टरों सहित छोटे कर्मचारी अपनी मर्जी से काम करते हैं। इसका खामियाजा इलाज कराने आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
बदहाल व्यवस्था से जूझ रहे जिला अस्पताल में लापरवाही का ढर्रा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। जबकि मरीजों की सुविधा से लेकर सुरक्षा के लिए हर साल करोड़ों रुपये का वजट जिला अस्पताल में भेजा जाता है। इसके बाद भी साफ-सफाई से लेकर उपकरण की भारी कमी है। अस्पताल में चारों ओर गंदगी का आलम है। मरीज बीमारी से ही नहीं, यहां की अव्यवस्था से भी परेशान है। पुरुष और महिला वार्ड के आंगे बारिश का पानी रुका रहता है। जिसके कारण मरीजों और उनके परिजनों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। अन्दर-बाहर निकलते समय पैर गंदे हो जाते हैं और इन्ही गंदे पैरों से जब वार्ड में घुसते हैं तो पूरे वार्ड में कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है। यही नहीं जिला अस्पताल में स्थिति बाथरूम और शौचालयों की कुंदियां तक खराब पड़ी हुई हैं। जिसके चलते बीते तीन दिन पहले महिला वार्ड में भर्ती एक नाबालिग के साथ बाथरूम जाते समय छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। लेकिन उक्त मामले को सिविल सर्जन द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया और तीन दिन बीतने के बाद भी अस्पताल के शौचालय और बाथरूमों में अन्दर की साइड कुंदिया नहीं लगवाई गई हैं। जिससे महिलाएं शौच और बाथरूम जाते समय सुरक्षित महसूस करती हैं। महिला वार्ड के दोनों साइड बने बाथरूमों के यही हाल हैं। शुक्रवार को जब महिला वार्ड में भर्ती महिलाओं से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होने बताया कि बाथरूमों में कुंदी न होने के कारण गेट को पकडक़र बैठना पड़ता है। जिससे असुरक्षित महसूस होता है। ऐसे मे जब कोई जल्दबाजी में आकर गेट को धक्का मार देता हैं, तो गेट खुल जाता है और महिलाओं को सर्मिंदगी महसूस करना पड़ता है।
वार्डों में घुस जाते हैं आसामाजिक तत्व:
जिला अस्पताल में लोगों का 24 घण्टे आना जाना बना रहता है। कईयों बार कुछ आसामाजिक तत्व भी वार्ड में घुस आते हैं, ऐसे लोगों का यह भी पता नहीं चल पाता है कि यह मरीज है या वार्ड मे भर्ती किसी मरीज का परीजन। जिसके चलते कईयों बार मोबाइल, पर्स और सामान चोरी जैसे घटनाएं हो जाती हैं।
पर्चे बनवाने में भी आती है परेशानी:
पर्चे बनाने वाले काउंटर पर भी मरीजों को काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। काउंटर पर पर्चा बनाने वाले कर्मचारी मोबाइल पर गेम खेलते रहते हैं। ऐसी ही कुछ स्थिति शुक्रवार को देखने को मिली। सुबह करीब 9 बजे तक अंत्योदय योजना के तहत फ्री में पर्चा काटने वाले काउंटर पर कोई कर्मचारी नहीं बैठा था। वहीं एक केबिन में तीन कर्मचारी बैठे हुए थे जो आपस में मस्ती-मजाक कर रहे थे और बाहर खड़ी एक महिला पर्ची बनवाने के लिए आवाज दे रही थी। लेकिन महिला की आवाज कोई नहीं सुन रहा था कुछ देर बाद जब महिला के कोई परिजन वहां आए और उन्होने कर्मचारियों से बहस की तब जाकर पर्चा बनाया गया।
छा जाता है अंधेरा:
जब भी बिजली जाती, अस्पताल में अंधेरा छा जाता है। जनरेटर बंद होने और दूसरा इंतजाम नहीं होने से हाल बेहाल हो जाते हैं। ऐसे में जब 2-3 घण्टे के लिए विद्युत कटौती हो जाती है तो मरीजों व उनके परिजनों को काफी परेशानी आती है। वार्डों में अंधेरा पसरा रहता है। जिसके कारण मरीजों को दवा देने और इंजेक्शन लगाने में परेशानी आती है। वहीं मरीज भी गर्मी और मच्छरों के काटने के कारण बिलखते रहते हैं।