गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज में मृतक बच्चों की संख्या 36 पंहुची योगी के इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष,प्रिंसिपल ससपेंड

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से पिछले 48 घंटों के दौरान 36 मासूमों की मौत हो गई है। दावा है कि मेडिकल कॉलेज में दो दिन के भीतर 36 बच्चों की मौत की वजह अचानक 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक जाना है, क्योंकि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का पैसा बकाया था। इस हादसे के बाद विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साध रहा है और उनसे इस्तीफे की मांग कर रहा है। दरअसल गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक गई थी। जिसकी वजह से उसी दिन बच्चों की मौत का आंकड़ा 23 पहुंच गया है और इसके बाद भी 13 मासूम बच्चों की मौत हो गई। बताया गया कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी और बच्चों की जान सिर्फ एक पंप के सहारे टिकी हुई थी। सूत्रों के मुताबकि, अस्पताल में अभी भी ऑक्सीजन सप्लाई की कमी है। इस अस्पताल में पिछले पांच दिनों के अंदर करीब 63 मरीजों की मौत हो चुकी है, जिसमें 36 बच्चे शामिल हैं। अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का 66 लाख रुपए से ज्यादा बकाया था। इस मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई का जिम्मा लखनऊ की निजी कंपनी पुष्पा सेल्स का है। तय अनुबंध के मुताबिक मेडिकल कॉलेज को दस लाख रुपए तक के उधार पर ही ऑक्सीजन मिल सकती थी। एक अगस्त को ही कंपनी ने गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज चिट्ठी लिखकर ये तक कह दिया था, कि अब तो हमें भी ऑक्सीजन मिलना बंद होने वाली है। पैसा चुका दो। इधर,स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा की बच्चो की मौत ऑक्सीजन की सप्लाई रोके जाने से नहीं हुई है.बल्कि यह गंदगी की वजह से हुई है .उधर,सरकार ने कॉलेज के प्रिंसिपल को ससपेंड करने का एलान किया है.जबकि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा ने नौकरी से इस्तीफे की बात कही है.इस बीच सोनिया गाँधी के निर्देश पर गुलामनबी आज़ाद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल का दौरा का इसे प्रशासन की गंभीर लापरवाही बताते हुए स्वस्थ्य मंत्री का इस्तीफा माँगा है.आज़ाद ने कहा की वैसे ज्यादा जिम्मेदारी सीएम की बनती है इसलिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचने वाली कंपनी के ऑफिस पर छापा
गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुए हादसे के बाद अब योगी सरकार एक्शन में आ चुकी हैं शुक्रवार की रात को ही अस्पताल में तरल ऑक्‍सीजन सिलिंडर पहुंचाने वाली कंपनी पुष्‍पा सेल्‍स प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर पर पिछले रात से छापेमारी हो रही है।छापेमारी कंपनी के मालिक मनीष भंडारी के घर और उसके रिश्‍तेदारों के यहां मारी जा रही है।बताया जाता हैं कि कंपनी का मालिक मनीष भंडारी फरार हो गया है। उल्‍लेखनीय है कि गोरखपुर में पिछले पांच दिनों में 60 बच्चों की दर्दनाक मौत ने योगी सरकार के स्वास्थ्य विभाग पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जान गंवाने वाले बच्चों में 5 नवजात शिशु भी थे। अस्पताल में कुल मौतें 30 हैं, सूत्रों की माने तो इन मौतों के पीछे मुख्य कारण ऑक्सीजन की कमी ही है। जबकि इस मामले में पूरी तरह फंस चुकी यूपी सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई है। सरकार इस पूरे मामले की जांच कर रही है।
उधर शुक्रवार की रात को हुए इस मामले के बाद प्रदेश में धरना प्रदर्शन का दौर शुरु हो चुका है। बाबा राघवदास मेडिकल कालेज स्थित नेहरू हॉस्पिटल में भर्ती 30 बच्चों की मौत के मामले पर विभिन्न सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल शनिवार को मेडिकल कॉलेज परिसर में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं,इस पूरे मामले को अब राजनैतिक रंग देने का काम किया जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मेडिकल कालेज पहुंच गये हैं, प्रदर्शन कर रहे लोगों में सपा, बसपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता शामिल हैं, प्रदर्शनकारी उक्त घटना में सम्मिलित चिकित्सक, प्रधानाचार्य और अधीक्षक पर हत्या का मामला दर्ज करके इन सबकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। वे मृतक बच्चों के परिवारों को 20-20 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं,जिला प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल मेडिकल कॉलेज परिसर में तैनात कर दिया है।

योगी सरकार इस्तीफा दे
शुक्रवार यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के ग्रह जिले गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हादसे के बाद अब मौत पर सियासत होनी शुरु हो गई है। देश की तमाम विपक्षी दलों के निशाने पर सीएम योगी आ चुके है। शनिवार को वरिष्‍ठ नेता गुलाम नबी आजाद के नेतृत्‍व में कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया। इस मौके पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यूपी सरकार की लापरवाही से यह हादसा हुआ, अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन की कमी थी। इस प्रतिनिधि मंडल में कांग्रेस नेता आजाद के अलावा, आरपीएन सिंह, राज बब्‍बर और प्रमोद तिवारी मौजूद थे। उल्‍लेखनीय है कि गोरखपुर में पिछले पांच दिनों में 60 बच्चों की दर्दनाक मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जान गंवाने वाले बच्चों में 5 नवजात शिशु भी थे। जबकि, यूपी सरकार का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई। 9 तारीख की आधी रात से लेकर 10 तारीख की आधी रात को 23 मौतें हुईं जिनमें से14 मौतें नियो नेटल वॉर्ड यानी नवजात शिशुओं को रखने के वॉर्ड में हुई जिसमें प्रीमैच्योर बेबीज़ रखे जाते हैं। यह भी हैरान करने वाली बात है कि10 अगस्त की रात को ऑक्सीजन की सप्लाई अचानक बहुत कम हो गई।
वहीं इस पूरे मामले में अस्पताल के सूत्र कहते हैं कि ऑक्सीजन की सप्लाई में गड़बड़ी होने से बच्चों की मौत हुई है, यह अस्पताल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में आता है। पिछली 9-10 तारीख को खुद मुख्यमंत्री ने इस अस्पताल का दौरा किया था,उसके बाद भी इस तरह की लापरवाही सामने आई है। इस घटना पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। हालांकि स्थानीय प्रशासन ने बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी हैं, अस्पताल के डॉक्टर ने बताया था कि 10 अगस्त को 23 बच्चों और 11 अगस्त को 7 बच्चों की मौत हुई है, ये मौतें आईसीयू में हुई हैं। सांसद कमलेश पासवान ने अस्पताल का दौरा किया, डॉक्टर ने बताया कि जापानी बुखार से 8 से 12 बच्चे रोजाना मरते हैं, मामला इसलिए भी ज्‍यादा गंभीर हो जाता है कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के गृह जनपद में हुआ है।बात दे कि यह बच्चों की मौत का मामला भी शांत नहीं होने वाला हैं यूपी मुख्य विपक्षी पार्टी सपा इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने वाली है।वहीं और बसपा भी योगी सरकार के खिलाफ यह मौका हाथ से जाने नहीं देने वाली है।

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