भोपाल,मप्र मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर में गैस राहत विभाग की बाग उमराव दूल्हा डिस्पेंसरी के कर्मचारी द्वारा एक्स्पायर्ड दवाओं को जलाकर हाथ तापने संबंधी खबर पर संज्ञान लिया है। खबर के मुताबिक एक जागरूक महिला अपनी साथियों के साथ दोपहर करीब 12 बजे डिस्पेंसरी पहुंचीं तो, अस्पताल परिसर में एक कर्मचारी आग जलाकर बैठा मिला, पास जाकर देखा तो वहां दवाइयों की शीशी के अलावा दवाइयों के कुछ पैकेट भी पड़े थे। पूछने पर जवाब मिला कि शीशी खाली हैं, लेकिन आग से अजीब से बदबू आने पर महिलाओं ने पास जाकर देखा तो शीशियों में दवाई और पैकेट में गोलियां थीं। कर्मचारी से पूछा तो उसने बताया कि दवायें एक्सपायर हो चुकी हैं। महिलाएं आगे बढ़ती उससे पहले ही एक कर्मचारी बोरी भरकर लाया तो दूसरे ने उसे जाने का इशारा किया। जब महिलाओं ने उस बोरी को खाली कराने को कहा तो उसमें भारी तादाद में ओआरएस के पैकेट निकले। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल तथा प्रभारी, गैस राहत अस्पताल से जवाब मांगा है।
मप्र मानव अधिकार आयोग ने जिला अस्पताल, अशोकनगर में डाॅक्टरों की लापरवाही से एक प्रसूता की जान जाने संबंधी घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार तारई गावं निवासी उषा राय पत्नी दीपक राय को बीते दो दिन पहले प्रसव पीड़ा हुई थी। इसके बाद उसे जिला अस्पताल अशोकनगर लाया गया। यहां डाॅक्टरों ने बीते सोमवार को आॅपरेशन किया। आपरेशन के बाद प्रसूता ने बेटी को जन्म दिया था। आॅपरेशन के बाद प्रसूता को बलीडिंग होने लगी। इतना ब्लड निकला के पलंग के नीचे तक बह गया। परिजन डाॅक्टरों को बुलाने गये तो, डाॅक्टर काफी देर तक नहीं आये और लापरवाही करते रहे। जबतक डाॅक्टर आये और उपचार शुरू किया तब तक प्रसूता की मौत हो चुकी थी। महिला के पति एवं अन्य परिजनों ने डाॅक्टरों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। मामले में आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, अशोकनगर से जवाब मांगा है।
उधर,मप्र मानव अधिकार आयोग ने धार जिले के मेघनगर में एक मृत व्यक्ति के शव को पोटली में बांधकर दो किमी ले जाने संबंधी घटना पर संज्ञान लिया है। घटना के अनुसार मेघनगर में पुरूषोत्तम नागर नामक एक व्यक्ति की साबरमती एक्सप्रेस की चपेट में आ जाने के कारण मौत हो गई। ट्रेन की चपेट में आने से मृतक का शरीर चिथड़े-चिथड़े हो गया। घटना का पता चलते ही परिजन घटना स्थल पर पहुंचे। जिसके बाद प्रशासनिक व्यवस्थाओं के अभाव के कारण वाहन एंबुलेंस समय पर उपलब्ध नहीं होने के कारण मृतक के परिजन पुरूषोत्तम नागर के शव को पोटली में बांधकर दो किमी पैदल चलकर मेघनगर स्वास्थ्य केन्द्र लेकर आये। मामले में आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, झाबुआ से जवाब मांगा है।