केजरीवाल तीसरी बार बने दिल्ली के मुख्यमंत्री, शपथ के बाद बोले सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से फीस लूं तब लानत हैं मुझ पर

नई दिल्ली,आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर रविवार को तीसरी बार शपथ ली। इसके साथ ही रविवार को 6 विधायकों मनीष सिसोदिया, सतेंद्र जैन, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और राजेंद्र पाल गौतम शामिल ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। शपथ ग्रहण के बाद जनसभा को संबोधित कर अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त योजनाओं पर विपक्ष की टिप्पणियों पर जवाब भी दिया। इस दौरान केजरीवाल ने फ्री की सरकार वाले बयान पर विपक्ष की घेरांबदी करते हुए कहा कि मुझ पर लानत है अगर मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री हूं और अगर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों से फीस लूं। अस्पताल में इलाज करने आए बीमारों से दवाइयों का पैसा लूं। केजरीवाल ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि मैं सब कुछ फ्री करता जा रहा हूं, दोस्तों इस दुनिया के अंदर जो भी अनमोल चीजें हैं, भगवान ने फ्री बनाई हैं। मां जब अपने बच्चों को प्यार करती है,तब वह फ्री होता है। बाप जब अपने बच्चों को पालने के लिए रोटी नहीं खाता तो बाप की तपस्या फ्री होती है।
केजरीवाल ने कहा कि श्रवण कुमार जब अपने माता-पिता को लेकर तीर्थयात्रा पर गए थे और जब उनकी मौत हो गई थी, श्रवण कुमार की सेवा भी फ्री थी। केजरीवाल अपने दिल्ली वालों को प्यार करता है दिल्ली वाले अपने केजरीवाल को प्यार करते हैं, यह प्यार भी फ्री है। इसकी कोई कीमत नहीं है।
केजरीवाल ने कहा कि दोस्तों मेरा एक सपना है, जो मैं चाहता हूं पूरे देशवासियों का सपना हो। हम चाहते हैं एक वक्त ऐसा आए जब पूरी दुनिया के अदंर भारत का डंका बजे, लंदन, टोक्यो, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में भी भारत का डंका बजेगा। इसके लिए नई राजनीति की शुरूआत होनी चाहिए। जो दिल्ली के लोगों ने अपना लिया है। दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ली। दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई।
केजरीवाल के मंत्री गोपाल राय ने की आजादी के शहीदों की शपथ
नेता आम तौर पर शपथ लेने से पहले ईश्वर या अल्लाह के नाम की शपथ लेते हैं, लेकिन विधायक गोपाल राय ने ईश्वर के नाम की शपथ न लेकर आजादी के लिए कुर्बान शहीदों के नाम शपथ ली। मैं गोपाल राय आजादी के शहीदों की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा। मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्ष्क्षुण रखूंगा। मैं मंत्री के तौर पर अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतरमन से निर्वहन करूंगा। मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष की भावना के बिना, सभी प्रकार के लोगों के लिए संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।

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