नई दिल्ली,भारी बारिश के चलते इस बार दलहन फसलें खासी प्रभावित हुई है। देश में मांग के मुकाबले दालों का उत्पादन 30 लाख टन कम होने का अनुमान है। आने वाले दिनों में दालें महंगी हो सकती हैं। वहीं दूसरी ओर इंडिया पल्सेज एंड ग्रेन्स एसोसिएशन ने देश में पर्याप्त मात्रा में विभिन्न प्रकार की दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए इन्हें आयात को कर मुक्त करने की मांग की है। ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में दलहन की पैदावार में भारी वृद्धि हुई जिसकी वजह से आयात में काफी कमी आई थी। आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 230 लाख टन दलहन का उत्पादन होगा जबकि मांग 260 लाख टन की है। ऐसे में 30 लाख टन दालों का आयात किया जाएगा। किसानों को दलहन का बेहतर मूल्य मिले इसके लिए सरकार ने दालों की आयात सीमा निर्धारित कर दी है, जिसके कारण अधिक मात्रा में किसी खास प्रकार की दालों का आयात नहीं किया जा सके। देश में हरे मटर की सालों भर मांग रहती है लेकिन इसके आयात पर जितने तरह का कर है उससे एक किलो आयातित हरे मटर का मूल्य 300 रुपए होगा।
कारोबारियों का कहना है कि इस वर्ष भारी वर्षा से उड़द की फसल को भारी नुकसान हुआ है। देश में औसतन करीब 30 लाख टन उड़द की पैदावार होती है लेकिन इस बार इसके उत्पादन में 40 से 50 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है। उन्होंने हरे मटर, उड़द और पीली मटर दाल के आयात में कर प्रणाली समाप्त करने की मांग की। इसी प्रकार से देश में पीली मटर की दाल की भी भारी मांग है लेकिन चने के उत्पादन में वृद्धि के कारण पीली मटर दाल के आयात की सीमा पर रोक है।
उन्होंने कहा कि एसोसिएशन का 12 से 14 फरवरी तक महाराष्ट्र के एम्बी वैली सिटी लोनावला में सम्मेलन हो रहा है, जिसमें देश की दलहन नीति, दलहन उत्पादन एवं इसके उपयोग, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, प्रोटीन की उपलब्धता तथा कटाई के बाद प्रबंधन आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी। सम्मेलन में करीब 1,500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे जिनमें अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार और अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दालों को लेकर सरकार को ऐसी योजना बनानी होगी जिससे किसान और उपभोक्ता दोनों लाभान्वित हों। एसोसिएशन सरकार के साथ मिलकर गरीबों को किफायती दर पर दालें उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है ताकि मांग और उत्पादन के बीच संतुलन बनाया जा सके।
भारी बारिश का असर दलहन फसलों पर, महंगी होंगी दालें, 30 लाख टन घटा उत्पादन
