प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोच्च, लेकिन यह वनवे ट्रैफिक जैसी नहीं हो सकती- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज पोर्टल द वायर की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर एक तीखी और कठोर टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा, प्रेस की स्वतंत्रता सर्वोच्च है, लेकिन यह वनवे ट्रैफिक जैसी नहीं हो सकती। पीत पत्रकारिता को कोई जगह नहीं मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह तीखी टिप्पणी तब की, जब वह न्यूज पोर्टल की तरफ से अपनी याचिका वापस लेने के लिए लगाई गई गुहार पर सुनवाई कर रही थी। न्यूज पोर्टल ने गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह की तरफ से दाखिल मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट की तरफ से मुकदमा चलाने के लिए दिए गए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, जो करीब डेढ़ वर्ष से लंबित पड़ी थी। शीर्ष अदालत ने इस याचिका को वापस लेने की इजाजत न्यूज पोर्टल को दे दी। जय शाह ने यह अवमानना याचिका न्यूज पोर्टल में लिखे गए एक लेख के खिलाफ दाखिल की थी। शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को भी न्यूज पोर्टल के खिलाफ अवमानना मुकदमे को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने न्यूज पोर्टल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिका वापस लेने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि उनके वादी गुजरात की अदालत में ट्रायल झेलना चाहते हैं। सुनवाई के दौरान पीठ ने देश में पत्रकारिता के वर्तमान चलन को लेकर बेहद नाराजगी जताई, जिससे हालिया दिनों में न्यायपालिका भी बेहद प्रभावित रही है। पीठ ने कहा कि यह फैशन बन गया है कि किसी भी व्यक्ति से जवाब मांगने के लिए नोटिस जारी किया जाए और 5-6 घंटे में ही उसके जवाब देने से पहले कोई भी लेख प्रकाशित कर दिया जाए। पीठ ने कहा, हमने बहुत कुछ झेला है। यह किस प्रकार की पत्रकारिता है। यह एक गंभीर मुद्दा है। हमें इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई क्यों नहीं करनी चाहिए? हम इस अदालत के जज के तौर पर बेहद चिंतित हैं। पीठ ने कहा कि उचित वक्त पर इस मसले पर विचार किया जाएगा।

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