जोधपुर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी वंदे भारत ट्रेन पर अपना अधिकार जमाने के लिए रेलवे के इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विभाग आमने-सामने हो गए। ट्रेन किसके पास रहेगी यह फैसला लेने के लिए रेलमंत्री को रेलवे बोर्ड चेयरमैन और बोर्ड सदस्यों के बीच मतदान करवाना पड़ा। चेयरमैन सहित 6 सदस्यों ने वोटिंग की, जिसमें चेयरमैन अकेले पड़ गए। इसके बाद रेल मंत्रालय ने दोनों विभागों के काम के बंटवारे को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी कर दिए। हालांकि रेलवे बोर्ड ने वोटिंग के बाद ट्रेन सेट इलेक्ट्रिकल विभाग को सौंपने का फरमान जारी कर दिया है। दरअसल, चेन्नई स्थित रेलवे की कोच फैक्ट्री में मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत करीब 97 करोड़ की लागत से एक आधुनिक ट्रेन तैयार की गई थी। फरवरी में पीएम ने इसे झंडी दिखाकर नई दिल्ली से वाराणसी के लिए रवाना किया था। इस ट्रेन को फैक्ट्री के महाप्रबंधक, मैकेनिकल व डिजायनिंग अफसरों ने बनाया था। इसी बीच एक शिकायत आई- ट्रेन में सेफ्टी के मानक पूरे नहीं है और 20त्न विदेश चीजें भी लगी हैं। रेलवे विजिलेंस ने कोच फैक्ट्री से फाइलें उठा ली। यही से मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल विभाग के बीच खींचतान शुरू होकर रेलवे बोर्ड तक पहुंची। हुआ यूं कि ट्रेन को तैयार करने के लिए रिसर्च डिजायन एंड स्टैंडर्ड आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने गाइडलाइन दी थी। इसके मानकों के आधार पर ही पूरी ट्रेन तैयार की गई। ट्रेन बन गई तो आरडीएसओ से सीधे अनुमति ले ली गई। आरडीएसओ की इलेक्ट्रिकल विंग व उसके अफसरों ने ट्रेन के इलेक्ट्रिकल सिस्टम को लेकर तकनीकी अनुमति नहीं ली। हालांकि कोच फैक्ट्री का कहना है कि सिंगल विंडो अनुमति मिलने से ही काम समय पर हुआ है। ट्रेन सभी मानकों पर खरी उतरी इसलिए सही दौड़ रही है। दरअसल, ये दोनों विभाग साथ में काम करते हैं। इस विवाद के बाद चेयरमैन दोनों विभागों को अलग करने के पक्ष में थे, जबकि सदस्य इस फैसले के खिलाफ थे। ऐसे में तीन दिन पहले बोर्ड की फुल हाउस मीटिंग में रेलमंत्री ने वोटिंग का प्रस्ताव रख दिया। मतदान हुआ तो मौजूद सभी छह सदस्यों ने दोनों विभाग को एक ही रखने के पक्ष में वोट दिया। मेंबर रोलिंग स्टॉक (एमआरएस) और मेंबर ट्रैक्शन अपने विभागों के पक्षकार थे, इसलिए उन्हें इस वोटिंग से बाहर रखा गया।
वोटिंग के बाद रेलवे बोर्ड के अंडर सेक्रेट्री (ओएंडएम) वी.एन. सिंह ने सभी महाप्रबंधकों को निर्देश जारी कर कहा है कि मंडल व जोन स्तर पर दोनों विभागों की कार्यप्रणाली में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा। प्रोडक्शन यूनिट्स के महाप्रबंधकों से कहा गया है कि वे ट्रेन सेट तैयार करने में इलेक्ट्रिकल उपकरणों की डिजायन, उन्हें लगाने और खरीद करने में प्रिंसीपल चीफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स को शामिल करेंगे।
रेलवे के दो विभागों में वंदे भारत ट्रेन पर अधिकार को लेकर रार वोटिंग से हुआ फैसला
