नई दिल्ली, मोदी सरकार का पूर्ण बजट 5 जुलाई को आने वाला है। इस बजट में केंद्र सरकार आवासीय क्षेत्र के लिए बड़े ऐलान कर सकती है। खासतौर पर सस्ते घरों के लिए टैक्स छूट बढ़ाकर गरीब और मध्यम वर्ग को लुभाने का प्रयास हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार होम लोन के तहत टैक्स से बचत के लिए कटौती की सीमा बढ़ा सकती है। दरअसल, होम लोन के ब्याज पर पूरी छूट तभी मिल पाती है, जब निर्माण पांच साल में पूरा हो जाए। लेकिन निर्माणाधीन घरों की आपूर्ति में देरी हो रही है और जब किसी को मकान मिलता है तो उस वित्तीय वर्ष के साथ निर्माण के समय का ब्याज दो लाख की सीमा पार कर जाता है। इसके कारण खरीदार पर गैर जरूरी बोझ पड़ता है। इस परेशानी को देखते हुए बजट में दो लाख की सालाना ब्याज छूट की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। दूसरे घर की खरीद पर लिए लोन के ब्याज पर भी कटौती का पूरा लाभ मिलता था। लेकिन 2018 में लोन के ब्याज पर छूट की कुल सीमा दो लाख तय कर दी गई। इससे लोन पर लिए गए दूसरे घर पर भी ब्याज छूट का पूरा फायदा नहीं मिल रहा है। घरों की खरीद बढ़ाकर रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल लाने से आर्थिक सुस्ती दूर करने और रोजगार बढ़ाने की कवायद में जुटी सरकार की कोशिश रंग ला सकती है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में होम लोन के ब्याज पर आयकर छूट 1.5 लाख से बढ़ाकर दो लाख की गई थी। इससे 15 से 60 हजार की सालाना बचत आयकर के दायरे में आने वाले मकान खरीदारों को हुई। हालांकि नोटबंदी, रेरा और जीएसटी के बाद रियल एस्टेट सेक्टर मंदी से जूझ रहा है और इन झटकों से उबरने में काफी समय लग सकता है। रियल एस्टेट सेक्टर को राहत मिलती है तो अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। निर्माण क्षेत्र से सीमेंट, ईंट सहित करीब 300 उद्योग जुड़े हैं और मांग बढ़ती है तो व्यापक स्तर पर लाभ देखने को मिलेगा।
बजट में घर खरीदने पर टैक्स में छूट बढ़ाने की घोषणा के कयास लगाए जा रहे
