(छत्तीसगढ़ चुनाव 2018 विशेष) सूरजपुर, अपनी बड़ी-बड़ी कोयला खदानों की वजह से छत्तीसगढ़ में विशिष्ट स्थान रखता है। छत्तीसगढ़ का यह पूर्वी हिस्सा प्राकृतिक संपदा से भरपूर है। इसबीच छत्तीसगढ़ में चुनावी रंग धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगा है। यहाँ की तीनों सीटों पर भाजपा को कड़ा मुकाबला करना होगा क्योकि उसके सामने यहाँ वापसी करने की बड़ी चुनौती होगी। फ़िलहाल यहाँ की दो सीटों पर कांग्रेस का कब्ज़ा है जबकि एक सीट भाजपा के पास है। प्रेमनगर में कांग्रेस के खेलसाई सिंह भटगांव से कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े और प्रतापपुरा से भारतीय जनता पार्टी के रामसेवक पैकरा विधायक है। इस पूरे इलाके को कांग्रेस के टीएस सिंहदेव के प्रभाव का क्षेत्र भी माना जाता है,इसलिए पैकरा के साथ ही उनकी प्रतिष्ठा इस चुनाव में अहम् होगी।
प्रेमनगर
छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले की प्रेमनगर विधानसभा सीट पर भी इस बार सभी की नजरें टिकी हैं।यह सीट अभी कांग्रेस के पास है, हालांकि परंपरागत रूप से इस भारतीय जनता पार्टी की ही सीट माना जाता रहा है.प्रेमनगर विधानसभा सीट पर 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खेलसाई सिंह ने भारतीय जनता पार्टी की रेणुका सिंह को 18928 वोटो के अंतर से मात दी थी।रेणुका सिंह इससे पहले 2003 और 2008 में इसी सीट से विधायक रह चुकी हैं।अभी तक इस सीट के इतिहास को देखें तो यहां कुल बारह बार विधानसभा चुनाव हुए हैं जिनमें से 7 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है।हालांकि, पिछले बार बीजेपी को भले ही राज्य में बहुमत मिला हो लेकिन ये सीट हाथ से फिसली थी.प्रेमनगर नाम की ये विधान सभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई तब से आज तक के तमाम विधानसभा चुनाव पर एक नजर डालते है। 1967 से 1972 तक सहदेव सिंह, जनसंघ से 1972 से 1977 तक भूनेश्वर सिंह, जनसंघ से 1977 से 1980 तक सहदेव सिंह, जनता पार्टी से 1980 से 1985 तक चंदन कांग्रेस से 1985 से 1990 तक तूलेश्वर सिंह भाजपा 1990 से 1991 तक सेखेलसाय सिंह, इसी बीच खेलसाय के लोकसभा में चले जाने के कारण 1991 में फिर विधान सभा चुनाव हूआ। जिसमे 1991 से 1993 तक निरंजन सिंह भाजपा से 1993 से 1998 तक तूलेश्वर सिंह कांग्रेस से 1998 से 2003 तक तूलेश्वर सिंह कांग्रेस से 2003 से 2008 तक रेणूका सिंह भाजपा से 2008 से 2013 तक रेणूका सिंह भाजपा से विधायक पद पर काबिज है। 2013 से अब तक कांग्रेस के खेल साय सिंह विधायकी कर रहे हैं। अब तक हुए कुल बारह विधान सभा चुनावों में से सात बार भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की, जबकी पांच बार कांग्रेस ने इस सीट की कमान संभालीं है। उस लिहाज से माना जाये तो इस सीट पर भजपा का पलड़ा भारी रहा है। प्रेमनगर एक कस्बा है, यह सूरजपुर जिले में आता है।प्रेमनगर सूरजपुर से कुल 51 किमी।और अंबिकापुर से करीब 91 किमी।दूरी पर स्थित है।ये दोनों शहर ही प्रेमनगर के सबसे करीब बड़े शहर हैं।
भटगांव
सूरजपुर और कोरिया जिला की सीमा से लगा प्रदेश का 5वां विधानसभा सीट भटगांव। सामान्य सीट वाले भटगांव विधानसभा का बड़ा इलाका आज भी विकास से कोसों दूर है। विकासखण्ड ओड़गी छत्तीसगढ़ के अत्यंत पिछड़े क्षेत्रों में शुमार है।ओड़गी ब्लॉक की आधा दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतें आज भी पहुंचविहीन हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होने के कारण हर साल मलेरिया और डायरिया से दर्जनों लोगों की मौत होती है।भटगांव विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस व भाजपा का मिला जुला प्रभाव रहा है। पहले यह विधानसभा क्षेत्र सूरजपुर व पिल्खा में शामिल था। परिसीमन के पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा व स्व. मुरारीलाल सिंह भाजपा की ओर से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। परिसीमन के बाद साल 2008 के पहले विधान सभा चुनाव में पं. रविशंकर त्रिपाठी 17 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज कर प्रदेश स्तर पर चर्चा में आए थे। इस चुनाव में कांग्रेस सहित सभी 28 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी। पं.रविशंकर त्रिपाठी की मौत होने के बाद साल 2010 के उपचुनाव में पं. रविशंकर त्रिपाठी की पत्नी श्रीमती रजनी त्रिपाठी ने कांग्रेस के यूएस सिंहदेव को 35 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। 2013 के चुनाव में कांग्रेस के पारसनाथ राजवाड़े ने रजनी त्रिपाठी को 7 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। सामान्य सीट होने के कारण इस बार भाजपा और कांग्रेस समेत गोगपा, सपा, बसपा, कम्युनिस्ट पार्टी से अपनी दावेदारी पेश करने वाले प्रत्याशियों की संख्या काफी होगी।
प्रतापपुर
सूरजपुर जिले की प्रतापपुर विधानसभा सीट पर भी इस बार सभी की नजरें टिकी हैं।यह सीट अभी भारतीय जनता पार्टी के पास है।प्रतापपुर 2008 में ही विधानसभा सीट बनी है।इससे पहले ये सीट पिलखा में आती थी।2013 में इस एसटी सीट पर भारतीय जनता पार्टी के रामसेवक पैकरा ने 8143 वोटों से जीत दर्ज की थी.प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र में संभाग का प्रथम बड़ा उद्योग महामाया सहकारी शक्कर कारखाना है। क्षेत्र में कृषि का विकास हुआ है लेकिन सड़क, स्वास्थ्य, सिंचाई, बेरोजगारी और पलायन की समस्या जस की तस है।परिसीमन से पहले प्रतापपुर ब्लॉक पिल्खा विधानसभा क्षेत्र में जबकि वाड्रफनगर ब्लॉक पाल विधानसभा क्षेत्र में था। 1977 में यह सामान्य सीट थी। जनता पार्टी से नरनारायण सिंह कांग्रेस के डॉ. प्रेमसाय सिंह को पराजित कर विजयी हुए थे।इसके बाद इस सीट को आरक्षित कर दिया गया। इसके बाद 10 साल तक कांग्रेस के डॉ. प्रेमसाय सिंह का कब्जा रहा। 1990 में भाजपा के मुरारी लाल सिंह विधायक बने। 1993 में पुन: डॉ. प्रेम साय सिंह ने जीत हासिल की और लगातार 10 सालों तक विधायक रहे।2003 में भाजपा के रामसेवक पैकरा ने जीत हासिल की। परिसीमन के बाद साल 2008 में भी उन्होंने अपनी जीत बरकरार रखी। पाल विधानसभा क्षेत्र में 1990 से 2008 तक भाजपा के राम विचार नेताम का कब्जा रहा लेकिन 2008 में उन्हें प्रेमसाय सिंह से हार का सामना करना पड़ा।विधान सभा क्षेत्र में गोड़, खैरवार, कंवर, चेरवां, उरांव, कोड़ाकू, पण्डो व भूइया जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग में जायसवाल, यादव, पनिका, साहू व मुस्लिम समाज की अच्छी खासी आबादी है। ये चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में होंगे।
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