MP विधानसभा का डेढ़ दिन में ही खत्म हुआ सत्र

भोपाल,मध्यप्रदेश की 14वीं विधानसभा का मॉनसून और आखिरी सत्र प्रदेश के इतिहास का सबसे छोटा सत्र रहा। डेढ़ दिन में सदन की कार्यवाही सिर्फ 5 घंटे ही चल सकी। सत्र डेढ़ दिन चलकर ही मंगलवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया। सरकार ने हंगामे के दौरान ही शासकीय कामकाज निपटाए। कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव धरा का धरा रह गया, वह प्रस्तुत नहीं हुआ। विपक्षी दल ने इसे लेकर जमकर हंगामा मचाया। सरकार ने 17 विधेयकों के साथ अनुपूरक बजट भी बिना चर्चा के पारित कर लिया। मध्यप्रदेश राज्य विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र 5 दिन के लिए 25 से 29 जून को होना था, मगर डेढ़ दिन में ही सत्र का समापन कर दिया गया। मंगलवार को कार्यवाही शुरू होने के साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा शुरू किया, और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करने लगे। वहीं सत्ता पक्ष ने कांग्रेस विधायकों के हंगामें को दबाने के लिए आपातकाल को मुद्दा बनाया। विधायकों के साथ मंत्रियों ने मोर्चा संभाला और आपातकाल को काला दिवस बना दिया।
संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि आज आपातकाल की बरसी है। आज ही के दिन 26 जून 1975 तो तानाशाह इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र और पत्रकारिता की हत्या कर पूरे देश को आपातकाल की जद में ला दिया था। जनता को कई तरह की यातनाएं भोगनी पड़ीं थीं। कमलनाथ भी इंदिरा गांधी के अनुयायी हैं क्या प्रदेश की जनता उन्हें भोगेगी। गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य और विश्वास सारंग समेत मंत्रियों ने कहा कि विपक्ष को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए और गांधी परिवार की भत्र्सना होनी चाहिए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि अविश्वास प्रस्ताव से डर कर सरकार सदन को विषय से भटका रही है। हंगामा बढ़ा तो दस मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की गई। सदन में फिर शुरू हुआ तो सत्ता पक्ष आपातकाल पर निंदा प्रस्ताव लाने की जिद करने लगा। नरोत्तम मिश्रा का कहना था कि आज की कार्यसूची में मीसा बंदियों संबंधी विधेयक है इसलिए आपातकाल पर चर्चा हो सकती है। इस दौरान सत्ता पक्ष द्वारा गांधी नेहरू परिवार और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर नारे लगाए तो विपक्ष के रामनिवास रावत ने आरोप लगाया कि भाजपा महात्मा गांधी की हत्या करने वालों की पार्टी है गोडसे की विचारधारा पर चल रही है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि आरएसएस के एक नेता ने भी इमरजेंसी को तत्कालीन परिस्थितियों में सही ठहराया था। इस दौरान विरोध होता रहा और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा ने आज की कार्यसूची में शामिल विषयों को लिया और कार्यवाही हंगामें के बीच पूरी करा ली। इसके बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। सदन के स्थगित किए जाने का कांग्रेस ने विरोध किया।
बिना चर्चा पारित हुआ अनुपूरक बजट
हंगामे के बीच सरकार ने 17 विधेयक के साथ अनुपूरक बजट को बिना चर्चा के पारित कर दिया। पारित विधेयकों में आपातकाल के दौरान जेल गए मीसा बंदियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा देने तथा लाड़ली लक्ष्मी योजना को लाड़ली लक्ष्मी योजना को कानूनी रूप देने वाला विधेयक शामिल रहे।
अपनी विधायक से ही घिरी सरकार
आसंदी के पास धरने पर बैठी महिला विधायक
सत्र के दूसरे दिन सरकार के सामने तब असहज स्थिति पैदा हो गई जबकि उनकी भाजपा विधायक नीलम मिश्रा आसंदी के पास धरने पर बैठ गईं। वो फूट-फूट कर रोयीं। उन्होंने बीजेपी से इस्तीफा देने की भी धमकी दे डाली।
नीलम ने कहा- मैं आज सदन में आखरी बार बोल रही हूं, मुझे कोई चुनाव नहीं ंलडऩा है। नीलम ने अपने जिले से प्रतिनिधित्व करने वाले खनिज मंत्री राजेन्द्र शुक्ल पर गंभीर आरोप लगाए। नीलम ने कहा कि पुलिस उनके इशारों पर काम कर रही है , उनके कहने पर पुलिस हमारे परिवार के लोगों पर एफआईआर दर्ज कर परेशान कर रही है। मुझे डर है कि मेरे पति का एनकाउंटर ना हो जाए। नीलम रीवा की सिमरिया से भाजपा विधायक हैं। मिश्रा का आरोप है कि खनिज का मुद्दा उठाने की वजह से उनके पति को गिरफ़्तार किया गया और पूरे परिवार को लगातार प्रताडि़त किया जा रहा है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने उनसे बात की। भूपेंद्र सिंह ने उन्हें भरोसा दिलाया कि पुलिस की ओर से गलत कार्रवाई नहीं होगी।
कांग्रेस में आ चुके हैं विधायक के पति
नीलम ने मीडिया से चर्चा में बताया मेरे पति जो कि जिला पंचायत अध्यक्ष है उन्हें भी प्रताडि़त किया जा रहा है। गौरतलब है कि अभय मिश्रा भाजपा के पूर्व विधायक रहे हैं। कहा जा रहा है कि मप्र के मंत्री राजेंद्र शुक्ल और नीलम मिश्रा के पति अभय मिश्रा के बीच काफी पुराना विवाद है। अब अभय मिश्रा कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वे पिछले दो साल से प्रदेश भर में त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। अभय मिश्रा के कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद अब उनकी पत्नी नीलम मिश्रा भी मुखर होने लगी हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि वे बीजेपी से इस्तीफा दे सकती है।
हंगामे के बाद पति को किया रिहा
रीवा में दो आदिवासी युवकों की मौत पर पूर्व विधायक और जिला पंचायत के अध्यक्ष अभय मिश्रा ने धरना दिया था पुलिस ने इस मामले में अभय मिश्रा के ऊपर बलवा और शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का मामला दर्ज किया था।
उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। विधायक नीलम मिश्रा के आक्रामक तेवरों को दिखते हुए सरकार हरकत में आई। गृहमंत्री के निर्देश पर उन्हें रिहा कर दिया गया है।
2 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूबी सरकार
मध्यप्रदेश सरकार 2 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज में डूबी हुई है। वर्ष 2002-2003 के बजट में सरकार पर 29,196 करोड़ रुपए का कर्ज था, जो अब बढ़कर वर्ष 2017-2018 के बजट में 206469. 56 करोड़ रुपये हो गया था।
वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के प्रश्न के लिखित जवाब में राज्य विधानसभा में आज यह जानकारी दी। मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर विकास कार्यो और विकास के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं के लिए कर्ज लिया जाता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002-2003 के बजट में 29196. 37 करोड़ का कर्ज था। 2007-2008 के बजट में 43500. 58 करोड़, 2012-2013 में 101423.39 करोड़, वर्ष 2017-2018 के बजट में 206469. 56 करोड़ रुपए का कर्ज सरकार पर था। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रदेश के नान प्लान खर्च में पांच वित्तीय वर्ष में कमी आई है।

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