नई दिल्ली,पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण सन 1990 से अब तक घाटी में 14 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। इस संघर्ष में पांच हजार से ज्यादा सुरक्षा बल के जवान शहीद हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त कार्यालय की कश्मीर पर रिपोर्ट के बाद भारत ने यूएन को तथ्यात्मक जानकारी देकर घाटी में पाक की नापाक हरकतों का काला चिठ्ठा खोला है। भारत ने कहा है कि सुरक्षा बलों ने घाटी में लगातार उकसाए जाने के बाद भी लगातार संयम का परिचय दिया है। इसकी गवाही इस बात से साबित होती है कि केवल एक साल 2017 के दौरान करीब 1936 जवान आतंकी हिंसा के कारण घायल हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जीवन का अधिकार सबसे प्रमुख मानवाधिकार है। लेकिन घाटी में सीमा पार से निर्यात किए जा रहे आतंकवाद के कारण यह बुनियादी अधिकार खतरे में पड़ गया है।
भारत ने मानवाधिकार पर यूएन के उच्चायुक्त कार्यालय को भेजे जवाब में घाटी में पाक प्रायोजित आतंकवाद के अभिशाप से मानवाधिकार के सामने पैदा संकट का हवाला देते हुए इन तथ्यों पर ध्यान देने को कहा है। भारत ने कहा है कि लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित आतंकी संगठनों को पीओके में शरण और प्रशिक्षण दिया जाता है। यह संगठन जम्मू कश्मीर के लोगों पर हमला करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हिज्बुल का सरगना सरेआम पाक के टीवी चैनलों पर धमकी देकर स्वीकार करता है कि वह भारत में आतंकी हमलों के लिए कहीं भी हथियार भेज सकता है।
पाकिस्तान की ओर से सीमा पर कवर फायरिंग की आड़ में होने वाली घुसपैठ और आतंकियों को दी जाने वाली वित्तीय मदद की जानकारी भी यूएन को देकर यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय पर तथ्यों की अनदेखी का आरोप लगाया गया है। पाकिस्तान की ओर से आतंकियों को मोर्टार, राकेट लांचर, ग्रेनेड, विस्फोटक सहित अन्य हथियार व उपकरण मुहैया कराने का जिक्र भी किया गया है। भारत ने कहा है कि इस तरह के हथियारों का बड़े पैमाने पर घाटी में जब्त किया जाना बताता है कि सुरक्षा बल किस तरह की चुनौती का सामना यहां पाक प्रायोजित आतंक की वजह से कर रहे हैं।
बीते 28 सालों में आतंक से संघर्ष में शहीद हुए पांच हजार से अधिक सैनिक
