नई दिल्ली,गुरुवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने शुक्रवार को चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय में मुखर्जी के जाने और राष्ट्रवाद पर उनके संबोधन को देश के समकालीन इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना बताया है। दशकों तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी द्वारा आरएसएस और उसके प्रमुख मोहन भागवत के न्यौते को स्वीकार करने के लिए आडवाणी ने उनकी जमकर प्रशंसा की है।
आरएसएस के आजीवन स्वयंसेवक और बीजेपी के दिग्गज नेता ने कहा कि उनका मानना है कि मुखर्जी और भागवत ने वैचारिक संबद्धताओं और मतभेदों से आगे बढ़कर संवाद का एक प्रशंसनीय उदाहरण सामने रखा है। एक बयान में उन्होंने कहा, ‘दोनों ने भारत की एकता की जरूरत को रेखांकित किया है जो विविधताओं (जिसमें धार्मिक बहुलता शामिल है) को स्वीकार और सम्मान करती है। आपको बता दें कि आडवाणी लंबे समय तक बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने भागवत के नेतृत्व में आरएसएस के विस्तार और संवाद के जरिए देश के तमाम वर्गों तक पहुंच बनाने के गंभीर प्रयासों पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा,एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना के साथ इस तरह का खुला संवाद निश्चित ही सहिष्णुता, सद्भाव और सहयोग का माहौल पैदा करने में मदद करेगा, जिसकी काफी जरूरत है। मुखर्जी की तारीफ करते हुए आडवाणी ने उनके साथ अपने संबंधों को याद करते हुए कहा कि आरएसएस के न्यौते को स्वीकार करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने सद्भावना का परिचय दिया। उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक जीवन में लंबे अनुभव और उनके अपने स्वभाव ने मिलकर उन्हें एक ऐसा स्टेट्समैन बना दिया है जो दृढ़तापूर्वक यह मानता है कि तमाम वैचारिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों के बीच संवाद और सहयोग बेहद जरूरी है।’
आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति के आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौते स्वीकार करने के बाद देश में बहस छिड़ गई थी। कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रणव मुखर्जी पर निशाना भी साधा था। हालांकि उनके संबोधन के बाद कांग्रेस काफी सुकून महसूस कर रही है और पी. चिदंबरम जैसे कई कांग्रेसी नेताओं ने प्रणव के भाषण की सराहना भी की है।
प्रणव का आरएसएस मुख्यालय जाना इतिहास की महत्वपूर्ण घटना : आडवाणी
