आईएनएक्स मीडिया केस पर सीबीआई ने कहा, हमारे पास कई सबूत,कार्ति बोले, मुझे परेशान किया जा रहा है

नई दिल्ली,आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम को मंगलवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया और उनकी रिमांड नौ दिन और बढ़ाने का आग्रह किया। कार्ति के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध किया। सीबीआई का दावा है कि उसके पास ताज़ा सबूत हैं, जिनके आधार पर कार्ति से जुड़ी कई और कंपनियों के बारे में जानकारी मिली है। वहीं कार्ति से जब सीबीआई ने उनका नाम पूछा, तो जवाब मिला कि उनको राजनीतिक तौर पर परेशान किया जा रहा है। कार्ति ने जमानत अर्जी भी दाखिल की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति चिदंबरम को कोई अंतरिम राहत नहीं दी। पीएमएलए मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तारी से सरंक्षण की मांग कोर्ट ने ठुकरा दी है। कोर्ट ने कहा कि इससे लंबित केस पर असर पड़ेगा।गौरतलब है कि ईडी ने एफआइपीबी क्लीयरेंस में गड़बड़ी संबंधी आठ मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी थी, जिनमें से महज एक मामले में ही एफआईआर दर्ज की गई है। इस तरह कहा जा रहा है कि आगे भी पी चिदंबरम मुसीबत में घिरे रहेंगे। ऐसा अनुमान इसलिए भी लगाया जा रहा है क्योंकि आरोप है कि केंद्र सरकार किसी न किसी तरह देश की जनता का ध्यान घपले और घोटालों के साथ भ्रष्टाचार कर विदेश भाग चुके मोदी और माल्या जैसों से हटाना चाहती है। ऐसे में कार्ति तो बहाना हैं, सही मायने में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर शिकंजा कसते हुए कांग्रेस को हाशिये पर ले जाना केंद्र का मुख्य मकसद है।
एफआईपीबी क्लीयरेंस घोटाला क्या है-
एफआइपीबी क्लीयरेंस घोटाला एक तरह से अधिकारों का दुरुपयोग से जुड़ा हुआ मामला है। इसके तहत एफआईपीबी क्लीयरेंस घोटाले का खुलासा एयरसेल-मैक्सिस डील की जांच के दौरान हुआ था। एफआईपीबी नियमानुसार तत्कालीन वित्तमंत्री केवल 600 करोड़ रुपये तक विदेशी निवेश को मंजूरी दे सकते थे, इससे अधिक के क्लीयरेंस के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा मंजूरी लेने का प्रावधान है। चूंकि वित्तमंत्री रहते हुए पी चिदंबरम ने एयरसेल में मैक्सिस ग्रुप को 3500 करोड़ रुपए के विदेश निवेश को मंजूरी दी थी अत: उन पर यह शिकंजा कसा गया है। इसकी जांच-पड़ताल की गई तो अन्य मामले भी खुलते चले गए और चिदंबरम समेत उनके बेटे कार्ति भी परेशानी में फंसते चले गए।
मुश्किलें बढ़ाने वाले आरोप
ईडी के एक अधिकारी की मानें तो जिन आठ मामलों को सीबीआई के सम्मुख जांच हेतु प्रस्तुत किया गया है उन तमाम मामलों में एफआईपीबी क्लीयरेंस पाने वाली कंपनियों की ओर से कार्ति चिदंबरम और उनकी सहयोगियों की कंपनियों में निवेश किया जाना पाया गया था। इस प्रकार इन सभी मामलों में एफआईपीबी के नियमों की अनदेखी कर क्लीयरेंस दिया आना तय माना गया है। अब यदि इन मामलों को लेकर कार्ति चिदंबरम आरोप लगाते हैं कि उन्हें राजनीतिक तौर पर परेशान किया जा रहा है तो यह तय है कि वो केंद्र के निशाने पर नहीं हैं, बल्कि असली निशाना तो पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर है। इसलिए कहा जा रहा है कि अब पी चिदंबरम की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।

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