नईदिल्ली,छात्रों पर शिक्षा के बढ़ते बोझ को कम करने अब राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पाठ्यक्रम घटाने पर विचार कर रहा है। एनसीईआरटी के अनुसार अगले दो से तीन साल में इसे कम कर दिया जाएगा और इसी हफ्ते इस पर शिक्षाविदों और अभिभावकों की राय भी मांगी जाएगी। छह कार्यशालाओं तथा राज्यों के शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठकों में यह बात उभरकर आयी कि देश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है। एनसीईआरटी अब मौजूदा पाठ्यक्रम की समीक्षा करके यह फैसला करेगा कि इसमें से क्या हटाया जा सकता है और क्या रखा जाना चाहिये।
इन बैठकों में बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठनों,शिक्षाविदों,प्रधानाचार्या और शिक्षकों तथा सरकारी अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। इनमें यह बात उभरकर सामने आयी कि आजकल ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं देना ही शिक्षा माना जा रहा है जो सही नहीं है क्योंकि विद्यार्थी डाटा बैंक या शब्दकोष नहीं हैं। समय की मांग है कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थी को नैतिक रुप से भी अच्छा इंसान बनाना है। इसके लिए मूल्य आधारित शिक्षा और रोजमर्रा की जिंदगी में काम आने वाले कौशल सिखाना जरुरी है। व्यावहारिक ज्ञान देना तथा शारीरिक रुप से फिट बनाना है। शिक्षा का लक्ष्य छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करके उन्हें विभिन्न विषयों का मूलभूत सिद्धान्त समझाना है। उन्हें व्याख्या और विश्लेषण करने का तौर-तरीका सिखाकर व्यक्तित्व का समग्र विकास करना है। बढ़ते पाठ्यक्रम के कारण आज की शिक्षा प्रणाली में इन गतिविधियों को स्थान ही नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में हम सिर्फ परीक्षा देने वाले छात्र बना रहे हैं। ये पाठ्यक्रम को रट लेते हैं और भविष्य में बेरोजबारों की कतार में आ जाते हैं। ऐसे में शिक्षा में पिछले काफी समय से शिक्षा में सुधार की जरूरत बतायी जा रही थी। कई शिक्षाविदों ने समय समय पर कहा था कि शिक्षा रचनात्मक न होकर केवल अधिक अंक हासिल करने और अधिक वेतन वाली नौकरी हासिल करने तक ही सिमट गयी है।
छात्रों पर घटेगा पढ़ाई का बोझ
