करेली, 14 वर्ष के लंबे अरसे बाद एक राज्य मंत्री नरसिंहपुर जिले को मिला है एक समय था जब जिले से दो-दो केबिनेट मंत्री हुआ करते थे। नरसिंहपुर विधायक जुझारू के साथ कर्मठ भी है यह अलग बात है कि लगातार उनकी चिटठी पत्री को शासन ने वो तब्ज्जों नहीं दी जिसका हकदार जिला रहा है। बहरहाल 8 माह के लिए मंत्री बने जालम सिंह पटेल यदि पूर्व से स्वीकृत व वर्षो से अटके-लटके कामों को करा पाते है तो यही क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि होगी। उन्हौनें अखबारों की सुखियां बने अनेक कामों को विधानसभा में लगाया है। यदि अपनी उसी सूची का अवलोकन एक बार कर लेंगे तो वह सारे काम उन्हें ध्यान आ जावेगे।
काम के बचे 6 माह
खबरनवीसों का वैसे भी कार्य ध्यानाकर्षण रहता है। विधायक के रूप में जालम सिंह करेली आईटीआई, सिविल कोर्ट, उत्कृष्ट में शिक्षकों की कमी, जिले में हवाई पटटी, सहित अनेक मामला उठा चुके है जिनका निराकरण ना होने से तालाब के पानी की तरह ”एक ठहरे हुए शहर“ की छवि करेली नगर की बन गई है। कलेण्डर के बदलते पन्नो की तरह साल दर साल बदल रहे है लेकिन शहर जन समस्याओ का निराकरण ना होने से जनता में हताशा का वातावरण बनता जा रहा है। करेली शहर की बदकिस्मती है कि कलेण्ड़रो के पन्ने बदल जाते है और समस्यायें जस की तस रहती है फिर भी आम जनता हर नई सुबह…. पर सुखद परिणाम की अपेक्षा करती है। मंत्री जालम सिंह से भी शहर सार्थक अपेक्षा कर रहा है कि 8 माह में उपयोगी 6 माह में वह क्या कुछ कर पाते है।
कृषि उद्योगो की है जरूरत
निरंतर विकास के लिए क्षेत्र में व्याप्त कच्चे माल के उत्पादन को दृष्टि गत रखते हुए वैसे कल कारखाने आज की जरूरत है। क्षेत्र उद्योगो के मामले में शून्य है। मूलत: कृषि प्रधान जिला होने के कारण यहां पर उद्योगो का ना माहौल बन पाया और ना ही इस दिशा में कभी पहल की गई और जो घोषणाएं हुई वह भी सब्जबाग ही साबित हो पायी है जबकि कृषि आधारित उद्योगो की यहां प्रबल संभावनाएं है। हर बार चुनाव आते है और तरह तरह के विकास की बातें की जाती है चुनाव के बाद सब भूला दिया जाता है स्थानीय नेतृत्व व जनप्रतिनिधि भी इसके प्रति कभी संजीदा नहीं रहे है।
हवा में गई घोषणाएं
वर्ष 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा के शासन काल में करेली में शुगर मिल लगाने की घोषणा हुई थी जिसके शिलान्यास के लिए तब के उप राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के आने चर्चाएं सर गर्म रही थी। 1998 में करेली के हाई स्कूल में आयोजित चुनावी सभा में आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री शरद पवार ने महाराष्ट्र की तर्ज पर सूती वस्त्र उद्योग कारखाना लगाने का वादा किया ना पवार लोटे और ना हमारे तब के प्रतिनिधि ने याद दिलाया। वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के शासन में कठोतियां के पास सहकारी शक्कर कारखाना लगाने की सरगर्मी रही जिममे किसानो की भागीदारी की बात भी आई थी। 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के शासन में करेली के पास खामघाट में आईटीसी पेपर मिल स्वीकृत हुई लेकिन नतीजा ढ़ाक के तीन पांत वाला ही रहा। 2011 में वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कठौतियां के पास औद्योगिक क्षेत्र बनाने की बात कही लगभग 4 साल बाद भी इसका अमल धरातल पर नजर नहीं आ रहा है।
अधर में एप्रोच रोड़
फोरलाइन व अंड़रब्रिज दोनो की एप्रोच रोड़ अधर में है। नगर की जनसमस्याओ की फेयरिस्त लंबी है हमारे जबावदेह जन प्रतिनिधि यदि इन्हें हल करने की समयबद्ध कार्य योजना बनाये तो निश्चित रूप से क्षेत्र विकास के नये सौपान तय करेगा। उत्तर दक्षिण कारिडोर फोर लाइन एप्रोच रोड़ के आभाव में शहर बायपास नगर बन गया है। इसकी शुरूआत रात्रिकालीन बसो के सीधे निकलने से हो ही गई है। वक्त की नकाजत को संभलते हुए नगर के वाशिंदे यदि अब भी नहीं चेते तो उनके मत्थे सिर्फ एक कहावत चरितार्थ होगी ”अब पछताय होत का, जब चिड़िया चुग गई खेत” यह स्थिति न बन पाये इसके लिए नगर की अवाम को दलगत राजनीति से परे यह संकल्प लेना होगा कि वह नगर, प्रदेश, देश के जनप्रतिनिधियो पर दबाव बनाये।
नर्मदा तट बरमान में कब बनेगा रोप-वे
नर्मदा की कल-कल करती धारा को जब श्रद्धालु देखते है तब तो उनका मन श्रद्वा से नतमस्तक हो जाता है। 11 मई 2013 को जिला आगमन पर पवित्र नगरी की घोषणा सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने बरमान को पवित्र नगरी घोषित किये जाने की घोषणा की थी जिस पर 3 अप्रेल 2013 को हुई केबिनेट की मीटिंग में मुहर भी लग गई थी। बरमान पवित्र नगगरी भी बन गया। लेकिन धरातल में कोई कार्य दिखाई नहीं दे रहा है। वही अनेक बार इसे पर्यटन केन्द्र बनाए जाने की घोषणा भी हो चुकी है। पुण्य सलिला मां नर्मदा के पावन तट पर बसे जिले के प्रसिद्व तीर्थ बरमान घाट को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जो पवित्र नगरी का दर्जा दिया गया है वह कागजी ही साबित हुआ है।
सूरज कुण्ड में नहीं है घाट
ऐसी मान्यता है कि सूरज कुंड में स्नान से कई पीड़ाओं, व्याधियों से मुक्ति मिलती है यही कारण है कि रविवार में यहां मेले सा माहौल हो जाता है इसके चलते व्यवस्थाओं की कमी खलती है, इतना ही नहीं दिनों दिन यहां भीड़ बढ़ रही है इस दृष्टि से पक्के घाट बनना जरूरी है। पवित्र नगरी बरमान के प्रख्यात सूरज कुंड में प्रति रविवार बड़ी संख्या में दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालु आते हैं लेकिन यहां उचित व्यवस्थाओं के अभाव में परेशान देखे जाते हैं।
भारत गैस की एजेंसी
तहसील मुख्यालय करेली में भारत गैस के हजारो उपभेक्ता है यहां स्थायी एजेंसी हेतु लम्बे अरसे से मांग की जा रहीं है। तहसील मुख्यालय करेली में भारत गैस के अनेक उपभोक्ता हैं, जिनके लिये गैस का वितरण नरसिंहपुर की एजेंसी दो एजेन्सी के द्वारा किया जाता है। कभी कभार आने वाले ट्रक के लिये लम्बी लम्बी कतारें लगती हैं। जिसमें महिलायें, बच्चें, बुजुर्ग परेशान होते रहते हैं। पूर्व मे सप्ताह में दो दिन वितरण की व्यवस्था थी। जो शनै: शनै: बन्द हो गयी। करेली में गैस एजेन्सी के मामले में भाजपा- कांग्रेस एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है। दोनो पार्टियों के नेता जनता को आश्वासन का कोरा झुनझुना पकड़ा गये किसी ने भी सार्थक संघर्ष अभी तक नहीं किया
अस्तित्वहीन हुई धमनी नदी
नर्मदा यात्रा के समय धमनी यात्रा भी हुई नपाई भी हुई बाबजूद इसके नगर की धमनी नदी आज अपने अस्तित्व की लडाई लड रही है। इसके लिये पूर्व में मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा भी की जा चुकी है कि नर्मदा नदी में धमनी नदी का पानी लाया जायेगा। पर नगर की प्रमुख नदी धमनी पर जहॉ नेताओं अनेकों वादे किये थे कि धमनी को नदी के जल से सराबोर कर देगें। उनके सौन्दर्यकरण हेतु हम कोई कसर नही छोडेगें। वो वादे आज सब खोखले साबित हो रहे है।
सपना बनी आईटीआई
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की करेली में आईटीआई खोले जाने की घोषणा सपना बन कर रह गयी है। करेली नरसिंहपुर जिले का व्यवसायिक एवं कृषि स्तर का अग्रिम रूप से प्रतिनिधित्व करता है वर्तमान परिवेश में एवं आधुनिक जीवन शैली मे दिन प्रतिदिन हो रहे परिवर्तनो को देखते हुए इस क्षेत्र मे तकनीकी कौशल की मांग तेजी से बढ रही है तथा यहां के प्रगतिशील युवाओ को इस तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने के लिए मजबूरन प्रदेश के बडे शहरो मे जाना पडता है तथा स्थान सीमित होने की समस्या से दो चार होना पड़ता है। करेली में आईटीआई की घोषणा का क्रियान्वन किया जाना बहुत ही आवश्यक है इसमें फिटर, इलेक्ट्रीशियन, बेल्डर, डीजल मैकनिक, बायरमेन, कारपेन्टर, भवन निर्माण, सिविल, इलेक्ट्रानिक्स, प्लम्बर, कटिंग एवं स्वीइंग, कोपा ट्रेडो के साथ नगर में स्थापित करना चाहिये, जिससे नगर सहित आसपास के ग्रामों में निवास करने वाले विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके।
अधर में लटका सिविल कोर्ट
करेली में सिविल कोर्ट के लिए प्रशासन 5 वर्षो से जगह तलाश कर रहा है जगह ना ठूंढ पाने के कारण मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की वर्ष 2011 में करेली में सिविल कोर्ट खोले जाने की घोषणा अब तक अधूरी है। इसके लिए पुरानी मंड़ी व रेस्ट हाउस का सर्वे भी हो चुका है लेकिन इच्छा शक्ति के आभाव में इसका क्रियान्वयन लटका हुआ है।
छिंदवाड़ा करेली सागर रेल लाइन
शटल ट्रेन का मामला विधायक ने विधानसभा में उठाया था। अब आवश्यकता रेल लाइन के प्रस्ताव की है। जब आप सपने नहीं देखोगे तो वह साकार कैसे होगे। साठ-सत्तर के दशक की छिंदवाड़ा करेली सागर रेल परियोजना अब तक मूर्त रूप नहीं ले पायी है। जबकि वर्षो से इस नई रेल लाइन की मांग की जाती रही है। 2011 के रेल बजट में एक बार फिर से छिंदवाड़ा सागर रेल लाइन को सर्वे में शामिल करने की मांग तत्कालीन सांसद राव उदयप्रताप सिंह की पहल पर हुई जरूर लेकिन इस सर्वे में अब तक क्या हुआ इसकी रिपोर्ट क्या आयी कब तक इसका निर्माण होगा इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है।
जितेन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
जालम सिंह के मंत्री बनने से जगी आस,वर्षो से अटके काम पूरा होने की दरकार
