नई दिल्ली,केंद्र की मोदी सरकार ने अहम फैसला लेते हुए कैबिनेट में ट्रिपल तलाक विधेयक को मंजूरी दे दी गई है। अब दोनों सदनों में इस बिल को संसद की मंजूरी के लिए रखा जाएगा। यह कानून मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) से राहत दिलाएगा। ‘द मुस्लिम वूमेन प्रोटक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ के नाम वाला यह विधेयक केंद्र सरकार की ओर से तैयार किया है। जिसमें कहा कि एक बार में 3 तलाक गैरकानूनी होगा और ऐसा करने वाले को 3 साल जेल की सजा हो सकती है। किसी भी स्वरूप में दिया ट्रिपल तलाक (मौखिक, लिखित या इलैक्ट्रोनिक) गैर कानूनी ही माना जाएगा। इसे ड्राफ्ट बिल में तुरंत ट्रिपल तलाक देने के दोषियों को 3 साल तक की सजा और जुर्माना करने का प्रस्ताव शामिल किया गया है। यह एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध माना जाएगा। इसमें पीड़ित मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता का अधिकार और नाबालिग बच्चों को कस्टडी देने का भी प्रस्ताव है। मसौदा कानून के तहत, किसी भी तरह का तीन तलाक (बोलकर, लिखकर या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सएप, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से) गैरकानूनी ही होगा।
– सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मुसलमानों में 1400 वर्षों से प्रचलित एक बार में तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार देकर निरस्त किया गया था। कोर्ट ने तीन-दो के बहुमत से फैसला देते हुए कहा था कि एक साथ तीन तलाक संविधान में दिए गए बराबरी के अधिकार का हनन है। तलाक-ए-बिद्दत इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। इसलिए इसे धार्मिक आजादी के तहत संरक्षण नहीं मिल सकता है।
ट्रिपल तलाक पर 3 साल की जेल, कैबिनेट से मसौदे को हरी झंडी
