मण्डला,सिंचाई के लिये बांध बनाने से लेकर नहरों के संचालन व रख रखाव का कार्य करने वाले जल संसाधन विभाग किसानों को फायदा देने की वजाय उनकी बर्बादी का कारण बन रहा है। नहरों का सही रख रखाव नहीं होने और समय पर पानी न छोडे जाने के साथ किसी भी समय बिना सूचना के पानी छोड दिये जाने के कारण किसानों क खडी फसलों से लेकर खेतों में काटकर रखी गई फसलें भी बर्बाद हो रही हैं। हाल ही में अंजनिया मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम मांद में एक किसान की खेतों में काटकर रखी गई धान बुरी तरह से बर्बाद हो गई। पटवारी हल्का नंबर 16 में लगभग दो एकड रकवे की भूमि में धान की फसल काटकर किसान विक्रम पटैल ने खेत में ही रख दी थी। इसी दौरान जल संसाधन विभाग ने बिना किसी पूर्व सूचना के नहर में से पानी छोड दिया। जिसके चलते खेत में पानी भर गया और वहां रखी लाखों की कीमत की धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई। इतना ही नहीं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की संवेदनहीनता तो इससे भी उजागर होती है कि जब कृषक विक्रम पटेल ने घटनाक्रम की जानकारी जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री शरदचंद त्रिपाठी को दी तो अधिकारी महोदय ने किसान के साथ सहानुभूति बरतने की बजाय उल्टा उसे ही बुरा भला कह डाला। नहर का पानी खेत में घुस जाये उसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होती है और न ही विभाग इसके लिये जिम्मेदार होता है ऐसे कथन देने वाले कार्यपालन यंत्री को उनका विभाग कितना संरक्षण देगा यह तो नहीं पता पर कहीं किसान आक्रोश जाग गया तो सारे सवाल जवाब किसान बहुत अच्छे से कर लेंगे। ज्ञातव्य है कि जल संसाधन विभाग के द्वारा नहरों की रख रखाव एवं सुधार के लिये प्रतिवर्ष मिलने वाली राशि का जिस तरह से उपयोग किया जाता है उसकी सही जांच ही जो जाये तो कई अधिकारियों के चेहरे से ईमानदारी का नकाब उतर जायेगा। वैसे भी जल संसाधन विभाग भ्रष्टाचार को लेकर सबसे चर्चित विभाग माना जाता है और आज से कुछ वर्ष तक तो यह विभाग कुबेर विभाग कहा जाता था। अब भले ही सरकारी पैसों का प्रवाह कम हो गया हो पर जितना भी आता है उतना पुराने पेटर्न के आधार पर ही खर्च किया जाता है। नहरों का रखरखाव और सुधार तो कहने की बात है असल में न तो सुधार होता है और न ही रख रखाव किया जाता है। पैसे जरूर खर्च हो जाते हैं पर इतना सबकुछ देखेगा कौन। हद तो तब हो जाती है जब यह भ्रष्टाचार किसानों की बर्बादी का कारण बन जाता है। कुछ समय पहले भी इसी तरह का घटनाक्रम घटित हुआ था जिसमें अनेक किसानों की खडी धान की फसल नष्ट हो गई थी। ग्राम सुकतरा और माधोपुर में नहर फूट जाने से दर्जनों किसानों के खेतों में पानी समा गया था और उनकी खडी धान की फसल चौपट हो गई थी। कुल मिलाकर जल संसाधन विभाग अपने भ्रष्टाचार के कारण किसानों की बर्बादी का जिम्मेदार बन रहा है और विभाग के अधिकारी किसानों की मदद करने बजाय अनाब शनाब बयान बाजियां करते हैं। किसान वैसे भी परेशान है उसे और परेशान न किया जाए तो बेहतर होगा। किसानों की मदद भले ही न कीजिए पर उनकी बर्बादी का कारण तो मत बनिये।
किसानों की बर्बादी का कारण बन रहा है जल संसाधन विभाग
