गांधीनगर, पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) नेता हार्दिक पटेल सोमवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात होने की बात से इनकार कर रहे हैं। वहीं एक सीसीटीवी फुटेज के सामने आने के बाद उन्हें बैकफुट पर जाना पड़ा है। इस सीसीटीवी फुटेज में दोनों लोगों की मुलाकात होने का दावा किया गया है। बीजेपी इस घटनाक्रम को अपने लिए फायदेमंद मान रही है।
अल्पेश ठाकुर ने जब कांग्रेस के साथ जाने का ऐलान किया, उसके ठीक बाद बीजेपी ने पीएएएस नेताओं वरुण पटेल और रेशमा पटेल को अपने पाले में खींच लिया। भाजपा कुछ और लोगों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही थी, लेकिन इसमें उसे सफलता मिलती नहीं दिखाई दे रही है। लेकिन इस दौरान युवा पाटीदार नेतृत्व में दरारें सामने आ गईं हैं। पाटीदार आंदोलन की धुरी हार्दिक हालांकि बीजेपी के साथ नहीं आए। कहा यह भी जा रहा है कि उनकी राहुल से मुलाकात हो चुकी है, लेकिन इस बात को दोनों ही सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
कांग्रेस गुजरात के जातिगत समीकरण को साधने के क्रम में ठाकुर और पाटीदार, दोनों समुदायों को अपनी ओर खींचने के क्रम में शायद ऐसा कर रही है, जोकि परंपरागत रूप से एक दूसरे के विरोधी माने जाते रहे हैं। बीजेपी और हार्दिक के पूर्व सहयोगियों वरुण और रेशमा ने हार्दिक पर ‘कांग्रेस एजेंट’ होने का आरोप लगाया है। ऐसे में हार्दिक के लिए भी इतनी जल्दी कांग्रेस के साथ खड़ा होना मुश्किल हो सकता है।
माधव सिंह सोलंकी के जमाने में कांग्रेस ने क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम का जो केएचएएम समीकरण बनाया था, उसमें अब पाटीदारों को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं, जो तब केएचएएम के चलते ही बिदक गए थे। दूसरी ओर बीजेपी को ताकत मुख्य तौर पर पाटीदारों ने दी थी, जिसकी दम पर तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने केएचएएम समीकरण को जमींदोज कर दिया था। सोमवार को राहुल की गांधीनगर रैली के बारे में डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने कहा कि वहां वक्ताओं ने केवल एससी, एसटी, ओबीसी और मुसलमानों की बात की और एक भी शब्द पाटीदारों के बारे में नहीं कहा गया। बीजेपी में कई लोगों का मानना है कि इसे देखते हुए हार्दिक और पटेल की कथित गोपनीय मीटिंग से हार्दिक की साख को चोट पहुंची है।