इंदौर, सागर, विदिशा सहित 13 जिले सूखाग्रस्त,अब होगा सर्वे अन्य जिलों की 12 तहसीलें भी सूखाग्रस्त

भोपाल,अल्पवर्षा के कारण प्रदेश संकट में है। इस बीच बुधवार रात को सरकार ने प्रदेश के 13 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया। इसके साथ ही अन्य जिलों की 12 तहसीलों को भी सूखाग्रस्त घोषित किया है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि 4 अन्य जिले भी सूखा प्रभावित घोषित हो सकते हैं। सरकार इसका ऐलान बाद में करेंगी। 17 अक्टूबर को मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह की अध्यक्षता में फिर से राज्य स्तरीय सूखा निगरानी समिति की बैठक होगी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य स्तरीय सूखा निगरानी समिति की बैठक हुई थी। इसमें जिलों से आई रिपोर्ट के आधार पर जिले व तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित करने को लेकर विचार-विमर्श किया गया था। इसमें तय किया हुआ कि मुख्यमंत्री सूखाग्रस्त जिले व तहसील की घोषणा करेंगे। बुधवार को सीहोर में किसानों के कार्यक्रम से वापस लौटने के बाद उन्होंने 13 जिले और 12 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से किसानों के साथ है और इस संकट से उबारने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। सरकार ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है।
अब आगे क्या करेगी सरकार
राहत के लिए सर्वे कराएगी सरकार
प्रमुख सचिव राजस्व अरुण पांडे ने बताया कि अब संबंधित जिले और तहसील में राहत के लिए सर्वे कराया जाएगा। फसलों को हुए नुकसान के हिसाब से राहत राशि दी जाएगी। वहीं, प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने कहा कि सर्वे में कृषि विभाग पूरा सहयोग करेगा। राहत आयुक्त कार्यालय 30 अक्टूबर के पहले केंद्र को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से सहायता के लिए प्रस्ताव भेजेगा।
इस आधार पर किया आंकलन
राजस्व और कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार ने जिले या तहसील को सूखाग्रस्त घोषित करने के नए पैमाने बनाए हैं। इसमें बारिश की स्थिति, बारिश में अंतराल, भू-जलस्तर की स्थिति, तापमान में नमी और बोवनी के रकबे को देखा जाता है।
सूखाग्रस्त जिले
अशोकनगर, भिंड, छतरपुर, दमोह, ग्वालियर, इंदौर, पन्ना, सागर, सतना, शिवपुरी, सीधी, टीकमगढ़, विदिशा। इसके साथ ही श्योपुर, मुरैना, दतिया और नीमच को सूखाग्रस्त करने पर विचार जारी है।
सूखाग्रस्त तहसीलें
दतिया, मल्हारगढ़, मंदसौर, मनासा, नीमच, बोहरी, जयसिंहनगर, विजयपुर, कराहज, बीरपुर, मानपुर और जीरन।
टीकमगढ़ में हुआ था आंदोलन
पिछले दिनों टीकमगढ़ को सूखाग्रस्त घोषित करने को लेकर आंदोलन भी हुआ था। कांग्रेस के बैनर तले हुए इस आंदोलन के बाद किसानों को थाने के लॉकअप में बंद करने से पहले उनके कपड़े उतरवा लिए गए थे, जिसको लेकर काफी विवाद की स्थिति बनी थी।

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