नई दिल्ली,गुजरात में राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच पहले से ही तानतानी चल रही हैं इसी बीच बुधवार को इस तानतानी को आईटी छापों ने और अधिक बढ़ा दिया। बात दे कि बुधवार को बेंगलुरु के ईगलटन रिसार्ट पर इनकम टैक्स ने छापा मारा है। इसी रिसार्ट गुजरात कांग्रेस के विधायक रुके हैं। जिसके बाद राज्यसभा में कांग्रेस ने इन छापों के समय को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। आयकर विभाग की छापेमारी पर सवाल उठाते हुए राज्यसभा में कांग्रेस सांसद हंगामा करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इसके बाद सत्ता पक्ष के नेता अरुण जेटली ने कांग्रेस के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि गुजरात के विधायकों पर छापे नहीं बल्कि केवल कर्नाटक के मंत्री डीके शिवकुमार को रिसार्ट से ले जाया गया। बता दें कि बेंगलुरु के उस रिसॉर्ट पर छापा पड़ा है जहां खरीद फरोख्त से बचाने के लिए गुजरात कांग्रेस के 44 विधायकों को रखा गया है। इन सभी को राज्यसभा चुनाव के कारण कांग्रेस ने भाजपा से दूरी बनने के लिए पिछले कुछ दिनों से रिसार्ट में रहा है। कांग्रेस के आरोप हैं कि भाजपा पैसों के दम पर कांग्रेस के विधायकों को खरीदने का काम कर रही है। इस बीच केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आईटी की कार्यवाही को सही बताते हुए कहा,कि नियम सबके लिए एक होता है।कांग्रेस के पाप का घड़ा भर चुका है।इसके बाद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने छापेमारी के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार इनकम टैक्स एजेंसियों को अनुचित तरह से प्रयोग कर रही। सत्ता के दुरुपयोग का ट्रेंड बन गया है। उन्होंने कहा कि छापे का जगह और समय संयोग नहीं है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, इस छापे का सीधा संबंध गुजरात राज्यसभा चुनाव से है, पैसे आपकी पार्टी के लोग बांट रहे हैं। गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा कि डर और भय का माहौल दक्षिण तक पहुंच गया है। आजाद ने कहा कि जो 15 करोड़ हमारे सांसदों को दे रहे हैं उन भाजपा नेताओं पर छापेमारी करें। इसके बाद कांग्रेस के सांसद नारेबाजी करते हुए गर्भग्रह तक पहुंच गए। कांग्रेस के सांसदों ने लोकतंत्र की हत्या, बंद करो, बंद करो के नारे लगाना शुरु कर दिया। जिसके बाद सदन को कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई।12 बजे जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस के सदस्यों ने राज्यसभा के चुनाव में नोटा के विकल्प को लेकर विरोध जताया।
इसके पूर्व मंगलवार को एलपीजी सब्सिडी खत्म कर हर महीने इसकी कीमतों में इजाफा करने के मोदी सरकार के फैसले पर संसद में जमकर हंगामा हुआ।विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार को घेरा। हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि 2010 में एक मंत्रिसमूह बनी थी जिसके अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी थे। इस समिति में शरद पवार, ममता बनर्जी, मुरली देवड़ा, जैसे लोग थे। इस समिति ने फैसला किया था कि धीरे-धीरे गैस की सब्सिडी कम की जाएगी और उनके दाम बढाए जाएंगे। पहले देश में 14 करोड़ सिलेंडर थे बढ़कर 22 करोड़ हो गए हैं। अब पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोज तय होती हैं। उज्ज्वला योजना में हम सब्सिडी लगातार दे रहे हैं। सब्सिडी गरीबों के लिए है ना कि अमीरों के लिए।
बेंगलुरु में रिसार्ट पर आयकर छापे को लेकर RS में हंगामा
