नीतीश के NDA में जाने से राज्यसभा में मजबूत हुई मोदी सरकार

नई दिल्ली, जेडीयू के बीजेपी से हाथ मिलाने के साथ मैत्रीपूर्ण क्षेत्रीय दलों के समर्थन से एनडीए की संख्या राज्यसभा में बहुमत के काफी करीब पहुंच गई है, जिससे सरकार के विधायी एजेंडे को बढ़ावा मिलेगा। निर्दलीय एवं नामित सदस्यों के अलावा विभिन्न दलों के संख्या बल की गणना से पता चलता है कि मोदी सरकार संसद के २४५ सदस्यीय ऊपरी सदन में कम से कम १२१ सदस्यों से समर्थन की उम्मीद कर सकती है।
सदन में समन्वय स्थापित करने वाले एनडीए नेताओं के चुस्त राजनीतिक प्रबंधन से उसे कांग्रेस नेतृत्व वाले विपक्ष की चुनौती से सफलतापूर्वक निपटने में मदद मिल सकती है क्योंकि कांग्रेस राज्यसभा में सरकार के विधेयकों को अवरुद्ध करने में अक्सर सफल रही है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी के ऊपरी सदन में १० सदस्य हैं जो अब तक सदन में अल्पमत में रहे सत्तापक्ष में महत्वपूर्ण इजाफा है। जेडीयू के समर्थन के साथ २४५ सदस्यीय सदन में एनडीए का संख्या बल बढ़कर ८९ हो गया। पार्टी के कुछ सदस्यों ने भाजपा से हाथ मिलाने के नीतीश के फैसले की आलोचना की है लेकिन यह साफ नहीं है कि क्या वह संसद में पार्टी के रुख के उलट काम करेंगे।
अनिल माधव दवे के निधन से रिक्त हुई मध्य प्रदेश की राज्यसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा की जीत तय होने तथा गुजरात में कांग्रेस से एक सीट छीनने के लिए उसके कोई कसर ना छोड़ने के साथ मौजूदा संसद सत्र के दौरान उसका संख्या बल बढ़कर ९१ हो सकता है। कुल २६ सदस्यों वाले अन्नाद्रमुक, बीजेडी, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और आईएनएलडी जैसे क्षेत्रीय दलों ने अक्सर सरकार का समर्थन किया है और साथ ही सरकार आठ नामित सदस्यों में से कम से कम चार पर समर्थन के लिए निर्भर कर सकती है। इन सबको मिलाकर संख्या १२१ होती है जो १२३ के बहुमत के आंकड़े के बेहद करीब है। अगर बीजेपी उत्तर प्रदेश के नौ में से आठ सीटें जीतती है तो मॉनसून सत्र के दौरान उसके मनोबल को बढ़ावा मिलेगा। इस समय उसके पास केवल एक सीट है हालांकि बिहार में एनडीए की उल्टी गंगा बह सकती है जहां अगले साल मार्च-अप्रैल में छह सीटों के लिए चुनाव होंगे। इस समय जेडीयू और भाजपा के पास क्रमश: चार और दो सीटें हैं। आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन तीन तक सीटें जीत सकता है।

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