भोपाल,मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को विपक्ष ने सरकार को किसान विरोधी बताते हुए पुरजोर तरीके से घेरने की कोशिश की। समर्थन मूल्य में खरीदी करने के मामले को लेकर हंगामा कर रहे विपक्ष को शांत नहीं कर पाने की स्थिति में सदन की कार्रवाई दो बार कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ी। वहीं किसानों के कर्ज माफी की मांग को लेकर कांग्रेस ने बर्हिगमन किया।
आज विधानसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने किसानों से मूंग समर्थन मूल्य में खरीदी नहीं किए जाने का मामला जोरदार तरीके से उठाया और मांग नहीं मानी जाने की स्थिति में कांग्रेस विधायक गर्भगृह में आ गए। हंगामें को देखते हुए सदन की कार्रवाई कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद पुन: सदन की कार्रवाई प्रारंभ होने पर विपक्ष ने हंगामा शुरु कर दिया। इसे देखते हुए एक बार फिर अध्यक्ष ने 15 मिनट के लिए सदन की कार्रवाई स्थगित करने की घोषणा कर दी। विपक्ष की मांग भी कि सरकार किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी करे और किसानों के कर्ज को माफ करे। शून्यकाल समाप्ति के बाद ध्यानाकर्षण काल में भी विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा। हंगामें के बीच ही सदन की कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए अध्यक्ष ने ध्यानाकर्षण सूचना पर मंत्री का जवाब लिया। विपक्ष ने बात नहीं सुने जाने की स्थिति में सदन में ही नारेबाजी करते हुए बर्हिगमन की घोषणा कर दी। इस प्रकार विपक्ष ने किसानों की मांगों को लेकर आज सदन में जमकर हंगामा किया और साथ ही बहिर्गमन किया।
जब सत्तापक्ष के विधायक की नाराजगी आई सामने
मध्य प्रदेश विधानसभा में आज गुरुवार को एक समय ऐसा भी आया जबकि सत्ता पक्ष के एक वरिष्ठ विधायक ने अपनी नाराजगी आसंदी के प्रति ही जाहिर कर दी, जबकि विपक्ष के सदस्यों के विरुद्ध् उनकी की गई टिप्पणी को सदन की कार्रवाई से विलोपित करने को अध्यक्ष ने कहा। दरअसल हुआ यूं कि मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने सदन में अपनी मांगों को लेकर सदन में नारेबाजी की और बात नहीं सुने जाने पर बहिर्गमन किया। इस पर भाजपा विधायक सुंदरलाल तिवारी ने एक लंबी टिप्पणी जोरदार आवाज में की। भाजपा की इस टिप्पणी को अध्यक्ष ने सदन की कार्रवाई से विलोपित करने को कहा। इससे विधायक विपक्ष को छोड़ आसंदी पर ही बोलना शुरु कर दिए। अध्यक्ष डॉ सीतासरन शर्मा ने इस स्थिति को हंसते हुए संभाला और कहा कि क्या सदन किसी विधायक के निर्देशों पर चलेगा? नाराज भाजपा विधायक यह सुनते ही अपनी गलती समझ गए और शांत हो गए। तभी सदन की कार्रवाई आगे बढ़ी।
प्रदेश में सत्रह सालों से बंद है बंदोबस्त कार्य
मध्य प्रदेश में वर्ष 2000 से बंदोबस्त कार्य बंद है। बंदोबस्त नहीं होने के कारण बटांकनों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह जानकारी गुरुवार को विधानसभा में राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने अपने वक्तव्य में दी। दरअसल कांग्रेस विधायक सुश्री हिना लिखीराम कांवरे ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह मामला सदन में उठाया, जिस पर मंत्री गुप्ता वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने सदन को बताया कि वर्ष 2000 यानी करीब 17सालों से बंदोबस्त कार्य बंद है इस कारण बटांकनों की संख्या बढ़ गई है। वहीं उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि नया कम्प्यूटराइज सिस्टम वेब जीआईएस में बटांकनों को दजर् करने की व्यवस्था है, किन्तु मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 70 की उपधारा 2 के साथ पठित धारा 258 की उपधारा (1) उपधारा (2) के खण्ड-7 के अन्तगर्त निर्मित नियम 1 (क) के अनुसार जिस भूमि का क्षेत्रफल 0.05 एकड़ से कम हो या जिस भूमि का भू-राजस्व 5 नये पैसे से कम हो एवं यदि भूमि का उपयोग कृषि प्रयोजन के लिए होता हो उसे पृथक उपखण्ड नहीं बनाया जाएगा। अत: 0.05 एकड़ से कम भूमि के बंटाकन कृषि भूमि के लिए नहीं किए जाने का प्रावधान है। मंत्री गुप्ता का वक्तव्य जब आया तो विपक्ष अपनी मांगों को लेकर सदन में जोरदार हंगामा कर रहा था, इसी बीच कांग्रेस सदस्य हिना कांवरे ने अपनी बात रखी जिसे शोर-शराबे में सही से सुना नहीं जा सका। बहरहाल बालाघाट जिले में बंदोबस्त कार्य नहीं हो पाने के कारण जो स्थिति नर्मित हुई है उसे सदन में उठाया गया और मंत्री अपने वक्तव्य से सदस्य को आश्वस्त करते नजर आए।