पटना,राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को चुनौती देने की कवायद में जुटी कांग्रेस ने बिहार के राजनीतिक गतिरोध को टालने में अहम भूमिका निभाई है। दिल्ली में पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से शरद यादव की मुलाकात ने बातचीत का दरवाजा खोला, तो इसके बाद सोनिया गांधी की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद से कई दौर की बातचीत ने सुलह संभावनाएं तैयार कर दी हैं|
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मुलाकात के पहले प्रमाणिक सफाई के सवाल पर करीब दो हफ्ते से महागठबंधन में घमासान की स्थिति थी। लालू प्रसाद के आवास पर सीबीआइ छापे के बाद से महागठबंधन के दो बड़े घटक दलों की राहें जुदा-जुदा लगने लगी थीं। राजद एवं जदयू के शीर्ष नेताओं के बीच लंबे समय से बातचीत बंद थी| जिसके कारण मतभेद और गहराता जा रहा था। दोनों तरफ के कुछ बड़बोले नेताओं एवं प्रवक्ताओं के बयान आग में घी डालने का काम कर रहे थे।
सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने खासतौर से नीतीश कुमार एवं उनके सलाहकारों से संपर्क किया।
सोनिया ने भी मामले की गंभीरता को समझा और समयानुकूल समझौते की पहल की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने ने भी संवादहीनता के इन दिनों में दोनों ओर के प्रमुख नेताओं के लगातार संपर्क बनाए रखा| वह कांग्रेस आलाकमान को लगातार बिहार की स्थिति से अवगत कराते रहे। इसी का नतीजा है कि मामल सुलह तक पहुंचा है। कांग्रेस के लालू प्रसाद एवं नीतीश कुमार के साथ अच्छे रिश्ते इस विवाद को खत्म करने में सहायक साबित हुए| भ्रष्टाचार विरोधी कानून के कारण लालू के संबंध राहुल गांधी से सहज नहीं हैं, लेकिन सोनिया गांधी और लालू एक-दूसरे का बहुत सम्मान करते हैं।
कांग्रेस की पहल से टला बिहार का सियासी संकट
