सिडनी,भारत और दक्षिण चीन सागर में चीन के अडियल रवैये के बीच अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने चीन की बढ़ती राजनीतिक और सैन्य महत्वकांक्षाओं को लेकर चेताया है। शीर्ष पेंटागन कमांडर ने जहां एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के सैन्य जमावड़े को लेकर, तो ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण चीन सागर पर प्रभुत्व स्थापित करने की चीनी तिकड़म का विरोध किया है। अमेरिकी वायुसेना के जनरल पॉल सेल्वा ने कहा कि चीनी सेना का आधुनिकीकरण एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य तकीनीकी बढ़त के लिए चुनौती बन सकता है।चीन का सैन्य आधुनिकीकरण जारी रहने से अमेरिका और उनके मित्र व सहयोगियों के लिए चीनी प्रभाव को संतुलित करना चुनौती बना रहेगा। वहीं ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री जूली बिशप ने भी कुछ इसी तरह चीन की सैन्य महत्वकांक्षाओं का विरोध किया है।
बिशप ने विवादित दक्षिण चीन सागर में जहाज़ों का बेरोक परिचालन सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा कि चीन द्वारा कृत्रम द्वीप बनाने और वहां सैन्यकरण का उनका देश विरोध करता है। उधर डोकलाम क्षेत्र को लेकर भारत और चीन में जारी तनातनी के बीच अमेरिका के एक पूर्व शीर्ष राजनयिक ने भारत को इस क्षेत्र की मजबूत शक्ति बताया है। पूर्व अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण और सेंट्रल एशिया) निशा देसाई विस्वाल ने कहा है कि सिक्किम क्षेत्र में बीजिंग के व्यवहार से इस क्षेत्र के देशों में अशांति पैदा हो सकती है। विस्वाल ने कहा कि चीन को एक अहम ताकत के रूप में भारत का सम्मान करना चाहिए।
पाक को बताया आतंकियों का पनाहगार
नई दिल्ली अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकियों को ‘सुरक्षित पनाह’ देने वाले देशों की सूची में डाल दिया है।
अमेरिका ने कहा है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान की सरजमीं से आतंकी गतिविधियां संचालित करने, आतंकियों को ट्रेनिंग देने और धन की उगाही में लिप्त हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के अंदर हमले करने वाले तहरीक-ए-पाकिस्तान जैसे संगठन पर कार्रवाई तो की किंतु अफगान तालिबान और हक्कानी जैसे आतंकी समूहों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। रिपोर्ट में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का जिक्र भारत के रुख की पुष्टि मानी जा रही है।