बोतल लगते ही ठण्ड से कांपे अस्पताल के मरीज, मचा हंगामा

मुरैना,एक बार फिर जिला अस्पताल में शनिवार रात उस समय हंगामा खडा हो गया, जब बुखार एवं पेटदर्द से पीडित मरीज सर्जीकल वार्ड में भर्ती हुए और उन्हें आर एल की बोतल चढाई गई। बोतल लगते ही मरीज ठण्ड से थर-थर कांपने लगे। मरीजों के परिजनों ने डॉक्टर व स्टाफ को बुलाकर बोतलें हटवाईं, तब कहीं जाकर मरीजों को राहत मिल सकी।
जानकारी के अनुसार सर्जीकल वार्ड में कुछ मरीजों को आर एल की बोतल स्टाफ नर्स द्वारा लगाई गई, जिसके कुछ देर पश्चात एक-एक कर मरीज ठण्ड से कांपने लगे। यह नजारा देख मरीजों के परिजनों में हडकम्प मच गया और वह चीखने लगे। शोर सुनकर डॉक्टर एवं स्टाफ मौके पर पहुंचे तो बताया कि बोतल लगते ही मरीज को ठण्ड लग रही है। जिस पर से तुरंत बोतलों को हटाया गया और इस दौरान कुछ मरीजों ने तो पुन: बोतल लगवाना उचित ही नही समझा, तो कई मरीज के परिजनों द्वारा दुकानों से बोतल लाकर लगवाई गई। रविवार की दोपहर भी यही कहानी पुन: सामने आई और फिर से कई मरीजों ने बोतल लगने के बाद ठण्ड लगने की बात कही। मामला गंभीर होने के बावजूद भी अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया और ना ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारी एवं डॉक्टर मरीजों को महत्व नही देते और उनकी बला से कोई मरे या जिये, उन्हें कोई सरोकार नही है। रविवार को सर्जीकल वार्ड में भर्ती कुछ मरीजों के परिजनों ने बताया कि कई लोगों द्वारा अस्पताल की बोतल एवं ड्रिप लगाने से मना किया, लेकिन फिर भी स्टाफ द्वारा जबरदस्ती की गई। लोगों का कहना है कि कौन परिजन अपने मरीज को नुकसान पहुंचाना चाहेगा। अस्पताल में भर्ती सचिन प्रजापति 17 वर्ष निवासी प्रेमनगर मुरैना ने बताया कि वह पेटदर्द की शिकायत पर अस्पताल में भर्ती हुआ और शाम को बोतल लगाई गई, जिसके कुछ देर बाद उसे सर्दी लगने लगी। इसी प्रकार रामेश्वर खरे निवासी देवरी सहराना पेट में दर्द होने के कारण अस्पताल में भर्ती हुआ, उसे भी आर एल की बोतल लगाई गई, जिसके बाद उसको भी सर्दी लगने लगी। इस प्रकार लगभग एक दर्जन से अधिक मरीजों को अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते कुछ समय के लिये शारीरिक प्रताडना झेलनी पडी।
वार्ड में घूम रहे डॉ नागेन्द्र को नजर नही आये पीडित मरीज
जिला अस्पताल में पिछले एक दशक से भी अधिक समय से पदस्थ डॉ नागेन्द्र रिषीश्वर रविवार की दोपहर 2:30 बजे के लगभग वार्ड में राउण्ड ले रहे थे, जिस वार्ड में राउण्ड ले रहे थे, पीडित मरीज को भी देख रहे थे। जब बाद में वह स्टाफ रूप में पहुंचे और उन से उक्त मामले को लेकर पूछा गया तो हमेशा की तरह अहंकार दिखाते हुए बोले कि मुझे कोई मरीज दिखाई नही दिया। इससे साफ जाहिर होता है कि जिला अस्पताल में पदस्थ कुछ डॉक्टर मरीजों के प्रति कितने संवेदनशील हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ नागेन्द्र अपने अख्खड स्वभाव के लिये जाने जाते है और मरीजों से सही व्यवहार नही करते। उक्त चिकित्सक पिछले एक दशक से भी अधिक समय से अस्पताल में पदस्थ है और कई बार इनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खडे हुए है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इनके विरूद्ध कोई कार्यवाही नही की गई है।
इनका कहना है –
आर एल की बोतल लगने से कुछ मरीजों को सर्दी लगने लगी थी, जिसे दिखवाया गया और उनकी बोतलों को हटाकर दूसरी बोतलें लगाई गई। बोतल या ड्रिप सेट में कमी है, यह अभी कुछ कह नही सकते। फिलहाल अब ऐसी कोई बात नही है।
डॉ पदमेश उपाध्याय, जिला अस्पताल मुरैना

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