नयी दिल्ली, राजस्थान सरकार ने कहा है कि यदि केंद्र मंजूरी दे देता है तो भी वह जीएम सरसों की वाणिज्यिक खेती की इजाजत नहीं देगी। राजस्थान ने कहा कि उसकी पारंपरिक किस्में जीएम फसल से बहुत अच्छी उपज दे रही हैं।
राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने फिक्की के एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, पहले, हमें जीएम सरसों की जरुरत नहीं है क्योंकि हमारे राज्य में बेहतर उुपज वाली पर्याप्त पारंपरिक किस्में हैं। दूसरा, मैं जीन में संशोधन से सहमत नहीं हूं जो कुछ नहीं बल्कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण एवं इंसानों पर उसके संभावित प्रभाव के बारे में आशंकाएं हैं, और इस विषय पर दुनियाभर में चर्चा चल रही है । उन्होंने कहा, जब तक सुरक्षा चिंता पर चीजें स्पष्ट नहीं हो जातीं जीएम सरसों को अनुमति देना जल्दबाजी होगी।
उन्होंने कहा कि उनके राज्य में क्षेत्रीय परीक्षण और वाणिज्यिक खेती की इजाजत नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, यदि केंद्र मंजूरी दे देता है तो भी हम उसका विरोध करेंगे। कृषि राज्य का विषय है केंद्र यह नहीं कह सकता कि कौन सी फसल उगानी है। ज्ञात रहे कि जैवप्रौद्योगिकी नियामक जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) दिल्ली विवि के फसल पाद आनुवांशिक परिवर्धन केंद्र द्वारा विकसित आनुवांशिक रुप से संवर्धति (जीएम) सरसों की किस्म पर प्रस्ताव पर पहले ही मंजूर कर चुकी है।इस पर पर्यावरण मंत्रालय के आखिर अनुमोदन की प्रतीक्षा है । वैसे पर्यावरण कार्यकर्ता उसका कड़ा विरोध कर रहा हैं।