MP ने UP को बेची 300 मेगावाट बिजली

भोपाल,प्रदेश में बारिश के शुरुआत में ही बिजली की डिमांड गिर गई। जिसके चलते कंपनी को 80 फीसदी प्लांट बंद करने पड़े। निजी प्लांट और पानी से बनने वाली बिजली से ही जरूरत पूरी हो रही है। मप्र में बिजली की डिमांड 9-10 हजार मेगावाट से घटकर 6500 मेगावाट पर पहुंच चुकी है। ऐसे में बिजली कंपनी ने सरकारी उपक्रम मप्र पॉवर जेनरेटिंग कंपनी के सारे प्लांट को शटडाउन कर दिया है। वर्तमान में सिर्फ तीन यूनिट ही चलाई जा रही है। ज्यादातर यूनिट को मेनटेनेंस में रखा गया है।कंपनी ने जून में सिर्फ उत्तरप्रदेश को करीब 300 मेगावाट बिजली बेची। मौजूदा वक्त में करीब 45 लाख यूनिट ही बिजली बिक रही है।
पीएमसी के अनुसार डिमांड देशभर में कम होने के कारण खरीदार नहीं मिल रहे। जो रेट मिल रहे हैं, वो इतने कम कि उत्पादन लागत भी नहीं मिल रही। सूत्रों की माने तो विरसिंहपुर थर्मल पॉवर प्लांट की 5 यूनिट में सिर्फ एक 200 मेगावाट का प्लांट चालू है। अमरकंटक थर्मल पॉवर प्लांट की 200 मेगावाट की 1 यूनिट चल रही है। वहीं बरगी में एक यूनिट में ओवरहॉलिंग चल रही है और दूसरी यूनिट 35 मेगावाट का उत्पादन हो रहा है।हाईड्रिल 915 मेगावाट क्षमता है, इसमें 550 मेगावाट उत्पादन कर रहे हैं। श्रीसिंगाजी थर्मल पॉवर लांट में 600-600 मेगावाट की दो यूनिट हैं, और दोनों ही बंद है।इसी तरह से सारणी थर्मल पॉवर प्लांट की 6 में से सिर्फ 2 यूनिट चालू रखी गई। 4 यूनिट बंद है। दौंस सिरमौर कॉम्प्लेक्स में 105 मेगावाट की 3 यूनिट है। अभी सिर्फ दो यूनिट से 200 मेगावाट बन रही। एक यूनिट ओवरहॉलिंग हो रही है। पेंच में 80 मेगावाट की दो यूनिट है। एक ही चल रही है।
गांधीसागर में 4 यूनिट चल रही है। एक यूनिट ओवरहॉलिंग में है।
इस बारे में मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के एमडी एपी भैरवे का कहना है कि हाईड्रिल पॉवर प्लांट में पानी का स्तर अभी नीचे है, इसलिए उत्पादन कम हो रहा है। डिमांड वैसे ही कम है। इस वजह से कोयले के प्लांट बंद करने पड़े हैं।वहीं मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी पीएमसी के प्रमोद चौधरी का कहना है कि बिजली की डिमांड कम होने से बिजली उत्पादन बंद कराया गया है। दूसरे प्रदेश में भी खरीदार नहीं हैं। ऐसे में जरूरत नहीं बन रही।

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