निजी स्कूलों को मनमाफिक तरीके से सांसद नहीं दे पाएंगे राशि

बैतूल, निजी स्कूलों को मनमाफिक तरीके से राशि सांसद राशि नहीं दे पाएंगे। नए नियमों के अनुसार निजी स्कूल संचालकों को पहले स्कूलों के संबंध में पूरी जानकारी दर्पण पोर्टल पर लिंक अप करनी होगी। सरकार के मापदंड पर यदि स्कूल खरे उतरते है तो ही कम्प्यूटर खरीदी या फिर निर्माण कार्य के लिए सांसद निधि से राशि दी जाएगी।
सरकार ने बनाए सख्त नियम
केन्द्र सरकार से सांसदों को सांसद निधि के रुप में प्रतिवर्ष पांच करोड़ रूपए मिलते है। इस राशि का उपयोग सांसद द्वारा अपने संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य के लिए किया जाता है। इसकी बाकायदा सूचि भी तैयार की जाती हे। इसी कड़ी में शैक्षणिक कार्य को बढ़ावा देने के लिए सांसदों को निजी व सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर सहित अनय उपकरणों के लिए निधि स्वीकृत करने का भी अधिकार दिया गया है। गौरतलब है कि अब तक शिक्षा के क्षेत्र में निधि जारी करने के लिए सांसदों को फ्री हैंड कर दिया था। जिससे वे स्कूल को अपनी मर्जी से शिक्षा सामग्री या उपकरण के लिए निधि उपलब्ध कराती थी। जानकारी के अनुसार फ्री हैण्ड होने के कारण कई बार यह शिकायतें भी मिल जाती थी कि सांसद निधि के जरिए निजी स्कूलों को उपकृत किया जाता है। इंदिरा सूचा शक्ति योजना के नाम पर पहुंच और पहचान का फायदा उठाकर निजी स्कूल संचालकों द्वारा अमूमन हर वर्ष सांसद निधि का लाभ लिया जाता था। निधि जारी करने में कमीशनखोरी एवं अन्य शिकायतों को देखते हुए सरकार ने अब सख्त नियम बना दिए है। जिसके चलते निजी स्कूलों को निधि जारी करने से पहले कुछ शर्ते रखी गई है।

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