भोपाल, प्रदेश में पिछले 48 घंटों में कर्ज से परेशान होकर करीब 8 किसान अपनी जान दे चुके हैं। यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार को विदिशा, धार, बड़वानी और मंदसौर जिले में किसान ने आत्महत्या की। कर्ज से परेशान 4 और किसानों ने अपनी जान दे दी।बदनावर (धार)। ग्राम छोकलां में कर्ज से परेशान किसान मदनलाल (45) पिता गोरधनलाल ने मंगलवार दोपहर आत्महत्या कर ली। उसने अपने घर से कुछ ही दूर स्थित खेत पर जाकर जहर खा लिया। पुत्र मनोज के अनुसार पिता ने दो-तीन बैंकों से कर्ज लिया था, जिसे चुका नहीं पा रहे थे। इसके अलावा गांव में भी कुछ लोगों से रुपए उधार लिए थे। करीब 4 लाख रुपए कर्ज बताया जा रहा है। फसलें पनप नहीं रही थीं। दोबारा बोवनी के लिए बीज व्यवस्था की चिंता भी थी। इससे परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया। कानवन पुलिस ने कहा कि कर्ज से आत्महत्या किए जाने की पुष्टि नहीं हुई है। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। सेंधवा (बड़वानी) के ग्राम जोगवाड़ा के बयड़ी फलिया के किसान वेचान (42) पिता बालजी का शव बुइवार सुबह फांसी पर लटका मिला। भाई कुमा ने बताया कि वेचान पर सोसायटी व क्रॉप लोन बकाया था। उसकी दो एकड़ में से एक एकड़ जमीन गिरवी रखी थी।
जावद (नीमच) में कर्ज से परेशान ढरोपा (मोड़ी के समीप) निवासी किसान प्रेमचंद पिता प्रभुलाल बावरी (50) ने कीटनाशक पी लिया। उसका उदयपुर में उपचार किया जा रहा है। प्रेमचंद के पास 7 बीघा खेती है। उसने बैंक से करीब 2.5 लाख स्र्पए लोन ले रखा है। निजी फाइनेंस कंपनी से ट्रैक्टर भी फाइनेंस कराया था। ट्रैक्टर की किस्त नहीं चुकाने से करीब एक माह से फाइनेंसर व कर्मचारी परेशान कर रहे थे। इसी बात से तंग आकर मंगलवार देर शाम घर पर प्रेमचंद ने कीटनाशक पी लिया।परिजनों के अनुसार बैंक, निजी फाइनेंस व बाजार का करीब 10 लाख स्र्पए कर्ज है। वहीं विदिशा की तहसील के ग्राम नीमखेड़ा के रहने वाले एक किसान शिवनारायण अग्रवाल ने कर्ज से परेशान होकर मंगलवार की रात को चूहामार दवा खा ली। बुधवार की सुबह जिला अस्पताल में इलाज के दौरान किसान की मौत हो गई। मृतक की पत्नी रेखाबाई अग्रवाल ने साहूकारों पर कर्ज की वसूली के लिए परेशान करने का आरोप लगाया है। उधर मंदसौर जिले की शामगढ़ तहसील के ग्राम बर्डियापुना में कर्ज से परेशान किसान भगवानलाल पिता नाथू जी मेघवाल (65 ) ने अपने खेत पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पत्नी गीता बाई ने बताया कि खेत में बोने के लिए बीज तक के रुपए भी नहीं थे इस से वह परेशान रहते थे।