महिलाओं ने बदली गांव की फिजां

रायपुर, छत्तीसगढ़ में महिला स्वसहायता समूह कामयाबी की अनेक मिसालें गढ़ रही हैं। कोंडागांव जिले के फरसगांव विकासखंड के जगली पंचायत की महिलाओं ने गांव की फिजां बदल कर रख दी है। स्वरोजगार और घर की जरूरतों के लिए आर्थिक मदद को तरसते गांववालों के लिए वहां का महिला स्वसहायता समूह बड़ा संबल है। कभी छोटे-छोटे कर्ज के लिए सेठ-साहूकारों की ओर मुंह ताकने वाली यह महिलाएं अब खुद दूसरों को कर्ज देने लायक हो गई हैं।
मछलीपालन और इसके विक्रय के व्यवसाय में लगी जगली की महिलाएं न केवल आत्म-निर्भर हैं, बल्कि ग्रामीणों को बहुत कम ब्याज दर पर ऋण देकर उनकी मदद भी करती हैं। अपनी उद्यमशीलता, आपसी सहयोग और मेहनत के बूते यह महिलाएं सफलतापूर्वक मछलीपालन का व्यवसाय कर रही हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 60 हजार रूपए का ऋण लेकर उन्होंने इस व्यवसाय की शुरूआत की थी।
हमर छत्तीसगढ़ योजना में अध्ययन भ्रमण पर रायपुर आईं ग्राम पंचायत जगली की पंच श्रीमती वेदोश्री विश्वास बताती हैं कि वर्ष 2014 में दस महिलाओं ने मिलकर स्वसहायता समूह का गठन किया। सभी सदस्य हर सप्ताह 50 रुपए जमा करते थे। कोंडागांव में हुए कृषक मेले में उन्हें मछलीपालन योजना के बारे में जानकारी मिली। तब उनके समूह ने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत 60 हजार रूपए का ऋण लिया और गांव के तीन तालाबों में मछलीपालन का काम शुरू किया।
पंच श्रीमती विश्वास बताती हैं कि तालाबों से अच्छी मात्रा में मछलियां निकलने से उनका व्यवसाय चल निकला। आसपास के हाट-बाजारों में समूह की महिलाओं ने मछली बेचने का कार्य शुरु किया। वे कहती हैं कि हमने एकजुटता से कार्य करते हुए न केवल समूह को आत्म-निर्भर बनाया, बल्कि गांव के जरूरतमंद गरीबों को बहुत ही कम ब्याज दर पर ऋण देना शुरू किया। कम ब्याज पर कर्ज मिलने से उसे चुकाने में आसानी होती है। वे कहती हैं कि मछलीपालन से स्वसहायता समूह की महिलाओं को अच्छी आय हो रही है और वे दूसरे ग्रामीणों की मदद भी कर रही हैं।
हमर छत्तीसगढ़ योजना के अपने अध्ययन भ्रमण के अनुभव साझा करते हुए श्रीमती विश्वास कहती हैं कि यह सरकार की बहुत ही प्रेरक योजना है। राजधानी से काफी दूर रहने वाले हमारे क्षेत्र के पंच-सरपंच भी यहां आकर नई-नई चीजों, व्यवस्थाओं, कार्य प्रणालियों और योजनाओं से रू-ब-रू हो रहे हैं। हम सोच भी नहीं सकते थे कि कभी इस तरह अध्ययन यात्रा पर जा सकेंगे। हमर छत्तीसगढ़ योजना से हमें यह सुअवसर मिला।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *