रामनाथ कोविंद ने पर्चा भरा,कहा राष्ट्रपति का पद दलगत राजनीति से ऊपर

नई दिल्ली,एनडीए के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी रामनाथ गोविन्द ने शुक्रवार को अपना पर्चा भर दिया इस अवसर पर एनडीए के मुख्यमंत्री मौजूद थे. हालाँकि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार पर्चा भरे जाने के वक्त मौजूद नहीं थे. कुल मिला कर 20 मुख्यमंत्री इस अवसर पर मौजूद थे. जैसा की पता ही है की नितीश कुमार के अलावा एआईएडीएमके ,टीआरएस जैसे दलों ने उन्हें समर्थन का एलान किया है.उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के लिए बनाये गये निर्वाचन अधिकारी के समक्ष नामांकन के तीन सेट प्रस्तुत किये। राजग के घटक दलों के अलावा अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस और जदयू जैसे क्षेत्रीय दलों ने दलित नेता को समर्थन देने की घोषणा की है जिससे उनकी जीत लगभग तय प्रतीत हो रही है। अगले राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचन मंडल में 48.6 प्रतिशत मत राजग के घटक दलों के हैं।
कोविंद के नामांकन के समय  लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे। उनके अलावा कोविंद को समर्थन दे रहे गैर राजग दल के दो नेता तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी भी इस दौरान उपस्थित रहे। भाजपा मुख्यमंत्रियों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, छत्तीसगढ़ के डॉ. रमन सिंह आदि उपस्थित थे। राजग नेताओं में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, अकाली दल प्रमुख प्रकाश सिंह बादल नामांकन के समय मौजूद रहे।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि कोविंद को 61 प्रतिशत से अधिक मत मिलने की गारंटी है। कुछ क्षेत्रीय दलों ने अपने मत को लेकर अभी फैसला नहीं किया है। यदि उनके भी मत मिलते हैं तो यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। नामांकन से पहले संसद भवन में आयोजित राजग की बैठक में कोविंद का स्वागत किया गया। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कई केंद्रीय मंत्री और राजग के  नेता मौजूद थे। बैठक के बाद सभी नेता समूह में एकत्रित होकर संसद भवन स्थित निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में पहुंचे।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए कोविंद के खिलाफ विपक्षी दलों के एक समूह ने लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष एवं दलित नेता मीरा कुमार को गुरुवार को अपना संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया था। चुनाव 17 जुलाई को होंगे और मतगणना 20 जुलाई को होगी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होगा। यदि कोविंद को राष्ट्रपति चुन लिया जाता है तो वह सर्वोच्च संवैधानिक कार्यालय का पदभार संभालने वाले दूसरे दलित होंगे। पहले दलित राष्ट्रपति के.आर. नारायणन थे जो 1997-2002 में राष्ट्रपति भवन में थे। अधिक चर्चा में नहीं रहने वाले 71 वर्षीय कोविंद ने भाजपा में कई संगठनात्मक पद संभाले हैं। उन्हें मई 2014 में राजग के सत्ता में आने के बाद 2015 में बिहार का राज्यपाल बनाया गया था। दो बार राज्यसभा सांसद रह चुके कोविंद को संभावित उम्मीदवारों की सूची में नहीं माना जा रहा था लेकिन भाजपा द्वारा उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने को ‘राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक’ समझा जा रहा है कोविंद की छवि साफ है और 26 साल के उनके राजनीतिक कॅरियर में वह कभी किसी विवाद में नहीं रहे। उनकी दलित छवि उन्हें ऐसे समय में अच्छा राजनीतिक चयन बनाती है जब भगवा दल दलितों को लुभाने की कोशिशों में जुटा है।
नामांकन दाखिल करने के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रपति का पद लोकतंत्र का सबसे गरिमामय पद हैं, उन्होंने कहा कि समर्थन करने वाले सभी दलों का आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि हमारे देश में संविधान सर्वोपरि है और इसकी गरिमा बनाई रखना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का पद दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए, कोविंद बोले कि कुछ ही वर्षों में हम आजादी के 75 साल पूरे होंगे इसके लिए हमें अभी से तैयार होना होगा। उन्होंने कहा कि मैं सभी को विश्वास दिलाता हूं कि मैं इस पद की गरिमा बनाए रखने का हर संभव प्रयास करुंगा।

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